बिहार: 17 राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त, विधानसभा चुनाव से पहले EC की बड़ी कार्रवाई

स्टेट डेस्क , श्रेयांश पराशर |
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने कड़ा कदम उठाते हुए 17 राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म कर दी है। यह कार्रवाई केवल बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में 334 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द की गई है। आयोग के इस फैसले ने चुनावी माहौल में हलचल मचा दी है।
बिहार में आगामी तीन महीनों के भीतर होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग (EC) ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के 17 राजनीतिक दलों की मान्यता समाप्त कर दी है। आयोग का यह फैसला चुनावी पारदर्शिता और राजनीतिक दलों के आचार-संहिता के पालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, जिन 17 दलों की मान्यता रद्द हुई है, उनमें कई ऐसे संगठन शामिल हैं जो वर्षों से सक्रिय राजनीति में नहीं थे या चुनाव आयोग के नियमों के अनुरूप अपनी गतिविधियों और वित्तीय विवरणों की जानकारी देने में विफल रहे। बिहार के जिन दलों पर यह कार्रवाई हुई है, उनमें भारतीय बैकवार्ड पार्टी (पटना), भारतीय सुराज दल (पटना), भारतीय युवा पार्टी डेमोक्रेटिक (पटना), भारतीय जनतंत्र सनातन दल (बक्सर), बिहार जनता पार्टी (सारण), देसी किसान पार्टी (गया), गांधी प्रकाश पार्टी (कैमूर) और हिमाद्री जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी जनसेवक (पटना) प्रमुख हैं।
इसके अलावा क्रांतिकारी समाजनादी पार्टी (पटना), लोक आवाज दल (पटना), लोकतांत्रिक समता दल (पटना), नेशनल जनता पार्टी इंडियन (वैशाली), राष्ट्रवादी जन कांग्रेस (पटना), राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी (पटना), सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी (पटना) और व्यवसायी किसान अल्पसंख्यक मोर्चा (जमुई) की भी मान्यता रद्द कर दी गई है।
चुनाव आयोग के अनुसार, यह कदम केवल बिहार तक सीमित नहीं है। पूरे देश में 334 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द की गई है, जिनमें से अधिकांश ऐसे हैं जो लंबे समय से निष्क्रिय थे या आवश्यक दस्तावेज और वित्तीय लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं कर रहे थे। आयोग का मानना है कि निष्क्रिय या नियमों का पालन न करने वाले दल चुनावी प्रक्रिया में अनावश्यक जटिलताएं पैदा करते हैं और मतदाताओं को भ्रमित कर सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कार्रवाई चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में मदद करेगी। वहीं, प्रभावित दलों के प्रतिनिधि इसे अपने खिलाफ साजिश करार दे रहे हैं और कुछ ने कानूनी लड़ाई लड़ने का संकेत भी दिया है।
बिहार में यह फैसला ऐसे समय आया है जब चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं और सभी बड़े दल मतदाताओं को साधने में जुटे हैं। अब देखना होगा कि इस कार्रवाई का आगामी चुनावी समीकरणों पर क्या असर पड़ता है।