
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
भारत और अमेरिका के रिश्ते एक नई दिशा में आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत सर्जियो गोर और प्रबंधन एवं संसाधन मामलों के डिप्टी सेक्रेटरी माइकल जे. रिगास इन दिनों भारत यात्रा पर हैं। दोनों अधिकारी 9 से 14 अक्टूबर तक भारत में रहेंगे और इस दौरान वे भारतीय अधिकारियों के साथ विभिन्न द्विपक्षीय, रणनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि “राजदूत सर्जियो गोर और डिप्टी सेक्रेटरी माइकल रिगास भारत सरकार के अपने समकक्षों से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते तलाशेंगे। विशेष रूप से सुरक्षा, व्यापार, तकनीकी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता जैसे विषय इस चर्चा के केंद्र में रहेंगे।”
बयान में आगे कहा गया है कि “अमेरिका अपनी रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूत और भरोसेमंद बनाने के लिए भारत के साथ मिलकर कार्य करता रहेगा। दोनों देश एक सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
भारत-अमेरिका संबंधों में नई ऊर्जा
राजदूत गोर की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब कुछ समय पहले टैरिफ और व्यापारिक मतभेदों को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी देखने को मिली थी। लेकिन अब संकेत स्पष्ट हैं कि दोनों देश संवाद के माध्यम से इन विवादों को सुलझाने के इच्छुक हैं। इस यात्रा को इन तनावों को कम करने और संबंधों में नई ऊर्जा लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से टेलीफोन पर बातचीत की थी, जिसमें उन्होंने गाजा शांति योजना, वैश्विक व्यापार, और रणनीतिक सहयोग पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति को शांति प्रयासों के लिए बधाई भी दी थी। सूत्रों के अनुसार, यह बातचीत दोनों देशों के बीच कूटनीतिक भरोसे और संवाद की नई पहल को दर्शाती है।
अमेरिकी सीनेट ने इस सप्ताह की शुरुआत में ही सर्जियो गोर की भारत में नये अमेरिकी राजदूत के रूप में नियुक्ति की पुष्टि की थी। 38 वर्षीय गोर अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों में एक अनुभवी राजनयिक माने जाते हैं। उन्हें इससे पहले इन क्षेत्रों के लिए अमेरिका का विशेष दूत भी नियुक्त किया गया था। गोर अपनी रणनीतिक समझ और संवाद क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।
उनकी यह भारत यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, शिक्षा और टेक्नोलॉजी साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। भारत और अमेरिका दोनों ही वैश्विक मंच पर लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त व्यापार के समर्थक रहे हैं, और यह यात्रा उन समान लक्ष्यों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।
आर्थिक और रणनीतिक सहयोग पर जोर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा के दौरान व्यापार संतुलन, आपसी निवेश, और रक्षा उत्पादन में सहयोग जैसे विषयों पर ठोस प्रगति हो सकती है। साथ ही, अमेरिका भारत को अपने सप्लाई चेन सहयोग का हिस्सा बनाने की दिशा में भी प्रयासरत है, ताकि एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
भारत की ओर से उम्मीद जताई जा रही है कि इस वार्ता से टैरिफ विवादों में नरमी आएगी और अमेरिका भारतीय आईटी पेशेवरों तथा व्यापारिक निवेशकों के लिए नीतियों को और सहज बनाएगा।
सर्जियो गोर की यह पहली आधिकारिक भारत यात्रा न केवल राजनयिक स्तर पर संवाद बढ़ाने का अवसर है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी है। अमेरिका जहां भारत को अपने दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है, वहीं भारत भी अमेरिका को अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में मानता है।
यह यात्रा इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका के बीच आर्थिक, तकनीकी और सामरिक संबंध और अधिक प्रगाढ़ होंगे, जिससे न केवल दोनों देशों को, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र को स्थिरता और विकास की नई दिशा मिलेगी।