
स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |
दरभंगा: लोकप्रिय लोक गायिका मैथिली ठाकुर के बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। भाजपा के टिकट पर वे दरभंगा क्षेत्र की अलीनगर विधानसभा सीट से मैदान में हो सकती हैं। यह खबर राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा रही है, खासकर तब जब चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव की तारीखें घोषित कर दी हैं। मैथिली के पिता के साथ दिल्ली में भाजपा चुनाव प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से हालिया मुलाकात ने इन अटकलों को हवा दे दी है।
मैथिली ठाकुर, जो मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर को अपनी मधुर आवाज से नई ऊंचाइयों तक ले गई हैं, अब राजनीति के मैदान में कदम रखने को तैयार दिख रही हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही मुलाकात की तस्वीरों ने पूरे बिहार को सनसनी से सराबोर कर दिया है। क्या यह भाजपा की युवा चेहरे वाली नई रणनीति का हिस्सा है? राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मैथिली जैसी युवा और लोकप्रिय शख्सियत को उतारकर पार्टी मिथिलांचल क्षेत्र में युवा मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली मुलाकात ने भेजा राजनीतिक संकेत
पिछले हफ्ते नई दिल्ली में हुई इस अहम बैठक ने सबकी निगाहें खींच लीं। मैथिली ठाकुर अपने पिता के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मिलीं, ठीक उस वक्त जब बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान होने वाला था। विनोद तावड़े ने सोशल मीडिया पर मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि 1995 में लालू राज के दौरान बिहार छोड़ने वाले परिवार की बेटी मैथिली अब बदलते बिहार को देखकर लौटना चाहती हैं। उन्होंने कहा, "आज केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय जी और मैंने मैथिली से बिहार के विकास में योगदान देने की अपील की। बिहार की बेटी को शुभकामनाएं!"
यह पोस्ट वायरल होते ही अटकलें तेज हो गईं। मैथिली ने भी इसे री-पोस्ट करते हुए लिखा कि बिहार के लिए बड़े सपने देखने वाले लोगों से बातचीत उन्हें दृष्टि और सेवा की ताकत याद दिलाती है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मुलाकात महज संयोग नहीं, बल्कि भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगती है। अलीनगर सीट से वर्तमान विधायक की अयोग्य घोषित होने के बाद यह सीट खाली है, और भाजपा यहां नया चेहरा उतारने की फिराक में है।
अलीनगर सीट: भाजपा की नजर में युवा अपील का केंद्र
अलीनगर विधानसभा सीट दरभंगा जिले में स्थित है, जो मिथिलांचल क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां की सांस्कृतिक विरासत और युवा आबादी भाजपा के लिए सुनहरा अवसर पैदा कर रही है। वर्तमान विधायक मिश्री लाल यादव पर विद्रोह के आरोप लगे हैं, और उनकी अयोग्यता ने सीट को खुला मैदान बना दिया है। एनडीए सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी के विधायक होने के बावजूद, भाजपा यहां अपनी पकड़ मजबूत करने को बेताब है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक, मैथिली को उतारना भाजपा की मास्टरस्ट्रोक हो सकती है। वे न सिर्फ लोक गायिका हैं, बल्कि पूर्व चुनाव आयोग की 'स्टेट आइकन' भी रह चुकी हैं। उनका मैथिली, भोजपुरी और हिंदी लोक संगीत से जुड़ाव मिथिला की जनता को सीधे छूएगा। युवा मतदाताओं, खासकर महिलाओं और सांस्कृतिक रूप से जागरूक वर्ग को लक्षित करने के लिए यह चाल अचूक साबित हो सकती है। एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा, "मैथिली का चेहरा देखते ही वोटरों के मन में बिहार की सांस्कृतिक गौरव जागेगा। भाजपा विकास के साथ संस्कृति को जोड़कर चुनाव लड़ना चाहती है।"
मैथिली का जन्म 2000 में मधुबनी जिले के बेनीपट्टी गांव में हुआ। बचपन से ही संगीत की दुनिया में कदम रखा, और 'इंडियन आइडल जूनियर' व 'राइजिंग स्टार' जैसे रियलिटी शो से राष्ट्रीय पहचान मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'कल्चरल एंबेसडर ऑफ द ईयर' अवॉर्ड और संगीत नाटक अकादमी का 'उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार' उनके सम्मान की गवाही देते हैं। बिहार की मिट्टी से जुड़ी यह बेटी अब राजनीति के रंगमंच पर उतरने को बेताब लग रही है।
मिथिलांचल में सियासी समीकरण बदलने की उम्मीद
मिथिलांचल क्षेत्र बिहार चुनाव का हॉटस्पॉट रहा है। यहां जातिगत समीकरण जटिल हैं, लेकिन युवा वोटरों की संख्या भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। मैथिली की एंट्री से एनडीए को सांस्कृतिक अपील मिलेगी, जो विपक्ष के लिए चुनौती बनेगी। सोशल मीडिया पर #MaithiliThakurBJP ट्रेंड कर रहा है, जहां समर्थक उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "मैथिली की आवाज ने बिहार को गाया, अब उनकी राजनीति बिहार को नई धुन देगी।"
हालांकि, आधिकारिक घोषणा का इंतजार है। भाजपा ने अभी टिकट वितरण पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन अंदरूनी स्रोतों के हवाले से कहा जा रहा है कि मैथिली को स्टार कैंपेनर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बिहार चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर को। कुल 243 सीटों पर सरगर्मियां चरम पर हैं।
मैथिली की संभावित एंट्री बिहार की राजनीति को नया आयाम दे सकती है। क्या लोक संगीत की यह स्वरलहरा सियासी मंच पर भी उतनी ही मधुर साबित होगी? आने वाले दिन इसका जवाब देंगे। फिलहाल, मिथिलांचल की गलियों में उनकी चर्चा जोरों पर है।