
स्टेट डेस्क, एन.के. सिंह |
चंपारण से कई विदेशों के टेररिस्ट के साथ जुड़े तार..... पाकिस्तान समेत कई जगहों विदेशों में क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भेजी जाती थी रकम।
पूर्वी चंपारण: मोतिहारी पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन में पिता बेचता था फल और पुत्र चलता था साइबर कैफे, उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में साइबर धोखाधड़ी के जरिए टेरर फंडिंग करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले में पूर्वी चंपारण, मोतिहारी के घोड़ासहन गांव निवासी गोलू कुमार और उनके पिता भूषण कुमार चौधरी को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का दावा है कि ये दोनों, खासकर गोलू, इस रैकेट के प्रमुख सदस्य हैं और इनके खातों से 101 करोड़ 34 लाख रुपये से अधिक की राशि का लेन-देन हुआ है। यह टेरर फंडिंग नेपाल सीमा के माध्यम से की जा रही थी।
सायबर कैफे की आड़ में चलता था फंडिंग का खेल
बलरामपुर के एसपी विकास कुमार ने बताया कि इस गिरोह ने नेपाल और भारत के पांच खातों का इस्तेमाल किया है। पिछले साल इस नेटवर्क का खुलासा होने पर ललिया थाने में केस दर्ज किया गया था, जिसमें गिरोह के सरगना बिहार के निवासी सस्पियर सहित पांच लोगों को जेल भेजा गया था।
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में गोलू ने खुलासा किया कि वह पूर्वी चंपारण में एक साइबर कैफे और जनसेवा केंद्र चलाता था। इसी की आड़ में वह यह अवैध काम कर रहा था। दो साल पहले वह कुछ लोगों के संपर्क में आया जिन्होंने उसे क्रिप्टोकरेंसी और बाइनेंस आईडी के बारे में सिखाया। इसके बाद उसने साइबर ठगी और फंडिंग का जाल फैलाना शुरू कर दिया। जब उसे इस काम में काफी फायदा होने लगा, तो उसने अपने पिता भूषण और अन्य लोगों की बाइनेंस आईडी बनाकर इस रैकेट का विस्तार किया।
पाकिस्तान को भी भेजी गई रकम
जांच में यह भी सामने आया है कि इस गिरोह ने चाइनीज लोनिंग ऐप के जरिए करोड़ों रुपये की क्रिप्टोकरेंसी को पाकिस्तान सहित कई जगहों पर भेजा है। एसपी विकास कुमार के मुताबिक, इस मामले की जांच साइबर थाने द्वारा की जा रही है और जल्द ही और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है। पुलिस को गोलू और भूषण से पूछताछ के दौरान भारत से जुड़ी तीन और नेपाल से जुड़ी एक आईडी की जानकारी मिली है, जिसकी जांच की जा रही है।
बरामदगी और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने इन दोनों आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, पांच मोबाइल, सात आधार कार्ड और नेपाल की मुद्राएं बरामद की हैं। दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। पुलिस के साइबर विशेषज्ञ अब बाइनेंस आईडी और ऑनलाइन लेन-देन के बारे में और अधिक जानकारी जुटा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में जल्द ही कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। इस घटना के बाद यह स्पष्ट समझ आ रहा है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में किस तरह से अवैध गतिविधियां चल रही हैं और कि भारत और नेपाल के बीच टेरर फंडिंग के तार कितनी गहराई तक जुड़े हुए हैं।