
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
अमेरिका ने यूक्रेन को हथियार देने से किया इनकार, यूरोपीय देशों के जरिए होगा सौदा
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए साफ कर दिया है कि वह अब सीधे तौर पर यूक्रेन को हथियार उपलब्ध नहीं कराएगा। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ‘फॉक्स न्यूज’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि वॉशिंगटन अब इस दिशा में दिलचस्पी नहीं रखता और इसके बजाय यूरोपीय सहयोगियों को हथियार बेचेगा। बाद में ये हथियार नाटो के जरिए यूक्रेन तक पहुंचाए जाएंगे।
यह घोषणा उस समय आई है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और कई यूरोपीय नेताओं के साथ अहम वार्ताएं कीं। इस बैठक के बाद अमेरिकी नीति में यह बदलाव साफ दिखाई दिया। रुबियो ने कहा, “हम न तो सीधे यूक्रेन को हथियार दे रहे हैं और न ही इसके लिए धन उपलब्ध करा रहे हैं। अब हमारे यूरोपीय साझेदार हमसे हथियार खरीद रहे हैं और वे नाटो के जरिये उन्हें यूक्रेन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए भुगतान यूरोपीय देश ही कर रहे हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से यूक्रेन को दोहरी चुनौती मिलेगी। एक ओर उसे हथियारों की आपूर्ति अब सीधे न होकर यूरोप के जरिए करनी होगी, जिससे प्रक्रिया लंबी और महंगी हो सकती है। दूसरी ओर, अमेरिका की यह दूरी रूस को सीधा संदेश भी है कि वॉशिंगटन अब संघर्ष में प्रत्यक्ष पक्षकार नहीं बनेगा। इससे अमेरिका रूस को नाराज़ किए बिना अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ खड़ा रहने की स्थिति में होगा।
अमेरिका के लिए यह नीति आर्थिक रूप से भी फायदेमंद मानी जा रही है। हथियारों की बिक्री से उसे मुनाफा होगा, वहीं सैन्य उद्योग को भी मजबूती मिलेगी। साथ ही यह कदम घरेलू राजनीतिक दबाव का परिणाम भी माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिकी जनता अब लंबे समय से जारी इस युद्ध में प्रत्यक्ष अमेरिकी दखल से थक चुकी है।
हालांकि, सुरक्षा गारंटी का मुद्दा अभी खुला है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि वॉशिंगटन यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक रास्तों पर काम करता रहेगा। आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि नई अमेरिकी नीति यूरोप और रूस-यूक्रेन संघर्ष की दिशा को कैसे प्रभावित करती है।