विदेश डेस्क, ऋषि राज |
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की परिषद की 24वीं बैठक 18 नवंबर को समाप्त हुई, जिसमें संगठन से जुड़े देशों के शीर्ष नेताओं ने वैश्विक स्तर पर सहयोग, सम्मान, न्याय और समानता को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस संकल्प जताए। बैठक में यह साफ कहा गया कि मौजूदा भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच बहुपक्षीय व्यवस्था को मजबूत करना, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संतुलन बनाए रखना और सदस्य देशों के बीच आपसी भरोसा बढ़ाना समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
बैठक के बाद जारी घोषणा के अनुसार, नेताओं ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि एससीओ ऐसे समय में एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है जब विश्व विभिन्न ध्रुवों में बंटता नजर आ रहा है। संगठन न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर बल देता है, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और मानव संपर्कों को भी मजबूत बनाने में अहम योगदान देता है। परिषद ने कहा कि एकपक्षीय नीतियाँ और प्रतिबंध वैश्विक शांति तथा विकास के लिए गंभीर बाधा बनते हैं, इसलिए बहुपक्षवाद को प्रोत्साहित करना ही आगे का मार्ग है।
बैठक में शामिल नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि एससीओ देशों के बीच बढ़ता सहयोग न केवल क्षेत्र की स्थिरता के लिए जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक आर्थिक संरचना को भी मजबूती प्रदान करता है। इस दौरान व्यापार, ऊर्जा, शिक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध, जलवायु परिवर्तन, कनेक्टिविटी बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क के विस्तार जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर सहमति बनी। नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि एससीओ देशों को पारस्परिक हितों और समान लाभ के सिद्धांत पर साथ आगे बढ़ना चाहिए।
परिषद ने अपने संयुक्त बयान में यह भी कहा कि उभरते वैश्विक परिदृश्य में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए संतुलित और न्यायसंगत दृष्टिकोण बेहद आवश्यक है। दुनिया में कुछ शक्तियों द्वारा लागू की जा रही एकतरफा नीतियों का उल्लेख करते हुए नेताओं ने स्पष्ट किया कि किसी भी देश को दूसरे देशों की संप्रभुता और हितों के विरुद्ध कदम नहीं उठाने चाहिए। एससीओ की ओर से बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था तथा संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया गया।
बैठक के दौरान सदस्य देशों ने आपसी संपर्क बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर सहयोग का रोडमैप तैयार करने का भी संकल्प लिया। परिषद ने कहा कि क्षेत्रीय सहयोग सिर्फ राजनीतिक या सुरक्षा मामलों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि विज्ञान-प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, कृषि, डिजिटलीकरण और युवा आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में भी विस्तृत साझेदारी का निर्माण होना चाहिए।
नेताओं ने आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद जैसी चुनौतियों पर भी विस्तार से चर्चा की। परिषद ने कहा कि इन चुनौतियों से लड़ने के लिए सामूहिक रणनीति और सूचना आदान-प्रदान बेहद महत्वपूर्ण है। बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों ने तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा पर भी खास चर्चा की।
अंत में परिषद ने आशा जताई कि एससीओ भविष्य में और अधिक प्रभावी मंच के रूप में उभरकर क्षेत्रीय शांति और आर्थिक प्रगति के लिए मजबूत स्तंभ सिद्ध होगा। नेताओं ने आपसी निकटता बढ़ाने की अपील की और इस बात पर जोर दिया कि किसी भी तरह के एकपक्षवाद का विरोध जारी रहेगा और बहुपक्षवाद ही वैश्विक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।







