
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी जापान यात्रा को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मंगलवार को कहा कि यह यात्रा केवल द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि इसका व्यापक प्रभाव हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता पर भी पड़ेगा। मोदी शुक्रवार से दो दिवसीय जापान यात्रा पर रवाना होंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता, रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक सहयोग को गहराई देने पर जोर रहेगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक महत्व
हिंद-प्रशांत क्षेत्र आज विश्व राजनीति और वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बन चुका है। चीन की बढ़ती गतिविधियों और दक्षिण चीन सागर में तनावपूर्ण हालात को देखते हुए भारत और जापान दोनों ही लोकतांत्रिक मूल्यों और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने पर बल देते आए हैं। मोदी की यात्रा इस क्षेत्र में संतुलन, सामरिक सहयोग और स्वतंत्र नौवहन की सुरक्षा को लेकर साझा दृष्टिकोण की पुष्टि करेगी।
भारत-जापान संबंधों में नया आयाम
भारत और जापान लंबे समय से आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। बुलेट ट्रेन परियोजना, डिजिटल टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विशेष चर्चा होगी। दोनों देशों के बीच व्यापार को 50 बिलियन डॉलर से ऊपर ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग
दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध भी गहरे हो रहे हैं। मालाबार नौसैनिक अभ्यास और आपसी सैन्य सहयोग हिंद-प्रशांत सुरक्षा ढांचे को मजबूत कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस यात्रा के दौरान रक्षा उत्पादन, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष सहयोग पर नई घोषणाएं होंगी।
दोनों देशों की मित्रता में नई मजबूती
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि यह यात्रा भारत-जापान मित्रता को और प्रगाढ़ करेगी तथा सहयोग के नए रास्ते खोलेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री के बीच होने वाली वार्ता से वैश्विक चुनौतियों पर साझा दृष्टिकोण विकसित होगा।
मोदी की यह जापान यात्रा केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई नहीं देगी, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।