
नेशनल डेस्क, आर्या कुमारी |
छिंदवाड़ा की दो वर्षीय योजिता ठाकरे 22 दिन तक जिंदगी और मौत से जूझती रही, लेकिन आखिरकार 4 अक्टूबर को दम तोड़ दिया. पिता सुशांत, जो एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं, ने बेटी को बचाने के लिए करीब 13 लाख रुपए खर्च किए. परिवार ने एफडी तोड़ी, दोस्तों-रिश्तेदारों और एनजीओ से मदद ली, यहां तक कि क्राउडफंडिंग भी की. योजिता को पहले डॉक्टर प्रवीण सोनी ने रेफर किया और नागपुर में भर्ती किया गया, जहां उसका 16 बार डायलिसिस हुआ. अब प्रशासन ने परिवार को 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया है, लेकिन परिजन दोषी डॉक्टर और दवा कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
"पापा घर ले चलो" — यही योजिता के आखिरी शब्द थे. पिता सुशांत की आंखें भर आईं जब उन्होंने कहा, “मेरी बेटी दो दिन में किडनी फेलियर की शिकार हो गई. 13 लाख रुपए खर्च कर भी उसे नहीं बचा सका. सरकार ने 4 लाख का मुआवजा दिया, पर मेरी बिटिया वापस नहीं आ सकती.”
प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं पिता
छिंदवाड़ा के सुशांत ठाकरे बताते हैं कि जब भी बेटी बीमार होती थी, वे डॉक्टर ठाकुर के पास जाते थे. लेकिन 8 सितंबर की शाम जब योजिता को बुखार आया, डॉक्टर ठाकुर क्लिनिक में नहीं थे. मजबूरी में सुशांत ने डॉक्टर प्रवीण सोनी से इलाज कराया. उन्होंने दवाइयां दीं और दिन में चार बार देने को कहा.
अगली सुबह बुखार तो उतरा, लेकिन हालत बिगड़ गई. योजिता ने तीन बार हरे रंग की उल्टियां कीं. तब डॉक्टर प्रवीण ने बताया कि किडनी में इंफेक्शन है और नागपुर ले जाने की सलाह दी.
नागपुर में 22 दिन चला इलाज
सुशांत बेटी को लेकर नागपुर पहुंचे, लेकिन पहले अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा नहीं थी. इसके बाद योजिता को नेल्सन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. 22 दिन तक इलाज चला, 16 बार डायलिसिस हुआ, और हर दिन के साथ उम्मीद भी कमजोर पड़ती गई.
परिवार ने सब कुछ दांव पर लगाया
नेल्सन हॉस्पिटल का बिल 12 लाख रुपए पार कर गया. सुशांत के भाई ने एफडी तोड़ी, बहनों और ससुराल वालों ने मदद की. दोस्तों, पड़ोसियों और स्कूल के साथियों ने भी हाथ बढ़ाया. एक एनजीओ ने 1 लाख रुपए की सहायता दी और सोशल मीडिया से क्राउडफंडिंग भी की गई. मगर तमाम कोशिशों के बाद भी 4 अक्टूबर को योजिता चल बसी.
प्रशासन से मुआवजा, पर दर्द कायम
प्रशासन ने परिवार को 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया. सुशांत ठाकरे ने कहा, “ये पैसे मेरी बच्ची की जिंदगी से ज्यादा कीमती नहीं हैं. मैं चाहता हूं कि ऐसी गलती दोबारा किसी मासूम के साथ न हो, दोषियों को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए.”