
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
भारत ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर लोकतंत्र पर हुए हमले को किया याद, देशभर में कार्यक्रमों का आयोजन
भारत ने 1975 में लागू हुए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर एक बार फिर लोकतंत्र की आवाज़ को बुलंद किया। 25 जून को देशभर में स्मृति समारोह, रैलियाँ और संगोष्ठियाँ आयोजित कर उस दौर की भयावहता को याद किया गया। राजधानी दिल्ली से लेकर पटना, नागपुर, भुवनेश्वर और बेंगलुरु तक राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और सरकारों ने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प लिया।
‘संविधान हत्या दिवस’ का ऐलान, ‘सेव डेमोक्रेसी यात्रा’ की शुरुआत
दिल्ली में प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 25 जून को अब प्रतिवर्ष ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह तारीख आने वाली पीढ़ियों को इस बात की याद दिलाएगी कि भारत ने कभी तानाशाही को स्वीकार नहीं किया।
कार्यक्रम में उन्होंने ‘Save Democracy Yatra’ की शुरुआत भी की, जिसका उद्देश्य लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र पर सीधा हमला करार दिया, वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसे भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय बताया। रक्षा मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जनता की एकता ने ही उस समय की तानाशाही प्रवृत्तियों को पीछे धकेला।
बिहार: जेपी आंदोलन की धरती से उठी लोकतंत्र की गूंज
पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपातकाल को तानाशाही का प्रतीक बताया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले आंदोलन को याद किया। उन्होंने कहा कि उस समय जनता की आवाज़ को दबाने के लिए उन्हें और उनके सहयोगियों को जेल में डाला गया था, लेकिन बिहार ने लोकतंत्र को बचाने में अग्रणी भूमिका निभाई।
सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जेपी आंदोलन से नीतीश कुमार और लालू यादव जैसे नेताओं का उदय हुआ, हालांकि समय के साथ कुछ लोग अपने आदर्शों से हट गए। बिहार में शैक्षणिक संस्थानों में संगोष्ठियाँ और निबंध प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं।
देशभर में स्मरण, सम्मान और जागरूकता
- नागपुर में बीजेपी ने 450 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने उस दौर की यातनाओं और अनुभवों को साझा किया।
- कर्नाटक के बेलगावी में मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर ने प्रेस की स्वतंत्रता और न्यायपालिका की भूमिका पर बल दिया।
- ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चारण माजी ने कहा कि शॉर्ट फिल्मों और प्रदर्शनियों के माध्यम से युवाओं को उस कालखंड से अवगत कराया जाएगा।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा में मॉडल संसद, विचार-विमर्श सत्र, कार्यशालाएँ और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
कांग्रेस और विपक्ष की प्रतिक्रिया
वहीं विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार की घोषणाओं को लेकर विरोध जताया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल को अपनी गलती माना और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी थी। उन्होंने वर्तमान सरकार पर ‘Undeclared Emergency@11’ जैसा माहौल बनाने का आरोप लगाया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘संविधान हत्या दिवस’ को संविधान का अपमान बताते हुए केंद्र पर तीखा हमला किया।
आपातकाल का संक्षिप्त इतिहास
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 का प्रयोग करते हुए देश में आपातकाल लागू किया था, जो 21 मार्च 1977 तक प्रभावी रहा। इस दौरान:
- प्रेस पर सेंसरशिप लागू हुई,
- विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया,
- चुनाव और न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप हुआ,
- 1 लाख से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए,
- एमआईएसए और डीआईआर जैसे कानूनों का दुरुपयोग किया गया।
इस दमन के विरुद्ध जेपी आंदोलन ने बिहार और गुजरात में जनजागरण का नेतृत्व किया, जिससे अंततः जनता पार्टी का गठन हुआ और 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई।
जेपी आंदोलन और संपूर्ण क्रांति
1974 में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था, जिसमें सात प्रकार की क्रांतियाँ – राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक – शामिल थीं। इस आंदोलन ने देश को कई नए जननेता दिए और लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई।
बिहार के सिताबदियारा, जेपी के पैतृक गाँव में विशेष आयोजन हुए, जहां नीतीश कुमार द्वारा कराए गए विकास कार्यों को भी रेखांकित किया गया।
युवाओं में जागरूकता की लहर
दिल्ली सहित देशभर में आयोजित कार्यक्रमों में युवाओं को आपातकाल के अनुभवों और सबकों से परिचित कराने के लिए नाटक, प्रदर्शनी, शॉर्ट फिल्में और संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने युवाओं से लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
आज के प्रमुख आयोजन (25 जून 2025)
दिल्ली- प्रधानमंत्री संग्रहालय में स्मृति समारोह, Save Democracy Yatra
बिहार- जेपी आंदोलन पर आधारित कार्यक्रम, नेताओं के संबोधन
महाराष्ट्र- लोकतंत्र सेनानियों का सामूहिक सम्मान
ओडिशा- प्रदर्शनियाँ, शॉर्ट फिल्में, शैक्षणिक कार्यक्रम
कर्नाटक- प्रेस स्वतंत्रता पर संगोष्ठी
लोकतंत्र की अहमियत का पुनः स्मरण
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ ने एक बार फिर देश को यह सिखाया कि लोकतंत्र की नींव जनता की आवाज़ पर टिकी होती है। इस दिन ने इतिहास की पुनरावृत्ति से बचने और नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षा के लिए चौकन्ना रहने की चेतावनी दी।