
नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर |
शाह और सीपी राधाकृष्णन की मुलाकात: उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले बढ़ी हलचल...
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की मुलाकात ने देश की राजनीति में नई सुगबुगाहट पैदा कर दी है। शनिवार को हुई इस मुलाकात के दौरान शाह ने राधाकृष्णन को शॉल ओढ़ाकर और गुलदस्ता भेंट कर सम्मानित किया। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी शाह ने राधाकृष्णन को “अनुभवी और संगठन व प्रशासन में दक्ष नेता” बताते हुए भरोसा जताया कि वे राष्ट्रीय विमर्श को नई दिशा देंगे।
उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए ने राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जिनका सीधा मुकाबला विपक्षी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी बी.सुदर्शन रेड्डी से होगा। यह चुनाव 9 सितम्बर को प्रस्तावित है। ऐसे में अमित शाह और राधाकृष्णन की मुलाकात सिर्फ औपचारिक शिष्टाचार न होकर, राजनीतिक संदेश भी देती है।
राधाकृष्णन लंबे समय से संगठन और प्रशासन में सक्रिय रहे हैं। दक्षिण भारत से आने वाले इस नेता का राजनीतिक अनुभव और साफ-सुथरी छवि उन्हें एनडीए का मजबूत चेहरा बनाती है। शाह की यह पहल साफ संकेत देती है कि भाजपा और एनडीए राधाकृष्णन के पक्ष में माहौल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि उपराष्ट्रपति का पद भले ही प्रत्यक्ष राजनीति में सक्रिय न दिखे, लेकिन संसद के ऊपरी सदन की गरिमा और राष्ट्रीय विमर्श के लिए यह पद बेहद अहम होता है। विपक्ष जहां बी.सुदर्शन रेड्डी को एक सशक्त विकल्प के तौर पर पेश कर रहा है, वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन का दावा है कि अनुभव और संगठनात्मक समझ के मामले में राधाकृष्णन कहीं अधिक मजबूत हैं।
9 सितम्बर को होने वाला मतदान इस लिहाज से दिलचस्प होगा कि यह न केवल सत्ता और विपक्ष की ताकत की परीक्षा होगी, बल्कि आने वाले दिनों के राजनीतिक समीकरणों की झलक भी दिखाएगा। शाह की सक्रियता से यह भी स्पष्ट है कि भाजपा इस चुनाव को सिर्फ औपचारिकता नहीं मान रही, बल्कि इसे एक अहम वैचारिक मुकाबला बनाने में जुटी है।