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5 विदेशी विश्वविद्यालय भारत में खोलेंगे कैंपस

विदेश डेस्क, मुस्कान कुमारी |

पांच विदेशी विश्वविद्यालय भारत में खोलेंगे कैंपस: मुंबई और नवी मुंबई में शुरू होगी विश्व स्तरीय शिक्षा

मुंबई और नवी मुंबई बनेंगे वैश्विक शिक्षा के केंद्र

भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत हो रही है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पांच प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (LoIs) जारी किए हैं। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने का हिस्सा है। ये कैंपस मुख्य रूप से मुंबई और नवी मुंबई में स्थापित होंगे, जबकि एक विश्वविद्यालय चेन्नई में भी दूसरा कैंपस खोलेगा। इस कदम से भारतीय छात्रों को देश में रहकर ही विश्व स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे भारत वैश्विक शिक्षा के नक्शे पर एक प्रमुख स्थान हासिल करेगा।

कैंपस स्थापित करने वाले विश्वविद्यालय

UGC ने यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और इटली के पांच विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति दी है। ये विश्वविद्यालय अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता और वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए जाने जाते हैं। इनमें शामिल हैं:

1. यॉर्क विश्वविद्यालय (यूके): यह यूनाइटेड किंगडम का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है, जो अनुसंधान और शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है। इसका भारत में कैंपस स्थापित होना भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा अवसर होगा।
2. पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय (UWA): ऑस्ट्रेलिया का यह अग्रणी विश्वविद्यालय नवी मुंबई में एक कैंपस स्थापित करेगा और साथ ही चेन्नई में भी दूसरा कैंपस खोलेगा, जिससे दक्षिण भारत में शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे।
3. अबरडीन विश्वविद्यालय (यूके): यूके के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक और भारत में कैंपस स्थापित करने वाला पहला स्कॉटिश विश्वविद्यालय। इसकी गवर्निंग बॉडी अगले महीने इस प्रस्ताव को मंजूरी देगी।
4. इलिनोइस प्रौद्योगिकी संस्थान (यूएसए): तकनीकी शिक्षा और नवाचार में विशेषज्ञता रखने वाला यह अमेरिकी संस्थान भारत में तकनीकी शिक्षा को नई दिशा देगा।
5. आईईडी इंस्टीट्यूटो यूरोपियो डी डिज़ाइन (इटली): डिज़ाइन और रचनात्मक शिक्षा में अग्रणी यह इतालवी संस्थान भारतीय छात्रों को कला और डिज़ाइन के क्षेत्र में विश्व स्तरीय अवसर प्रदान करेगा।

इन विश्वविद्यालयों की उपस्थिति भारत में उच्च शिक्षा के परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखती है। ये संस्थान विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान करेंगे, जिससे छात्रों को विविध शैक्षणिक विकल्प मिलेंगे।

नवी मुंबई में बनेगी “इंटरनेशनल एजुकेशन सिटी”

ये कैंपस नवी मुंबई में प्रस्तावित “इंटरनेशनल एजुकेशन सिटी” के हिस्से के रूप में स्थापित होंगे, जो नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट 5 किलोमीटर के क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है। यह भारत में अपनी तरह का पहला समर्पित शिक्षा केंद्र होगा, जिसे महाराष्ट्र सरकार और सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (CIDCO) का समर्थन प्राप्त है। इस पहल का उद्देश्य भारतीय छात्रों को बिना देश छोड़े विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करना है।

मई 2025 में, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस “एड्यू सिटी” की घोषणा की थी। यह परियोजना न केवल शिक्षा को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगी। नवी मुंबई का रणनीतिक स्थान, जो मुंबई महानगर क्षेत्र का हिस्सा है और आगामी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के करीब है, इसे इस परियोजना के लिए आदर्श बनाता है। इसके अलावा, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय चेन्नई में भी एक कैंपस स्थापित करेगा, जिससे दक्षिण भारत में भी उच्च शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे।

प्रवेश प्रक्रिया और समयरेखा

LoIs के जारी होने के बाद, इन विश्वविद्यालयों को 18 महीने के भीतर अपनी प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने की उम्मीद है। इस समयरेखा के अनुसार, अधिकांश विश्वविद्यालय दिसंबर 2026 से पहले अपने प्रवेश चक्र शुरू कर देंगे। यह पहल भारतीय छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा तक पहुंच प्रदान करेगी, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय करियर के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकेंगे।

विश्वविद्यालयों को अपने बुनियादी ढांचे, पाठ्यक्रम और संकाय की व्यवस्था करने के लिए समय चाहिए होगा। UGC के नियमों के अनुसार, इन कैंपस में प्रदान की जाने वाली शिक्षा का स्तर उनके मूल देश में दी जाने वाली शिक्षा के समान होगा। इससे भारतीय छात्रों को ऐसी डिग्री प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जो वैश्विक बाजार में मान्यता प्राप्त होगी।

NEP 2020 और उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण

यह पहल NEP 2020 के तहत उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के दृष्टिकोण का हिस्सा है। NEP 2020 का लक्ष्य भारत को एक वैश्विक शिक्षा केंद्र बनाना है, जहां नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा मिले। विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देकर, सरकार न केवल भारतीय छात्रों को विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान कर रही है, बल्कि विदेशी निवेश और शैक्षणिक सहयोग को भी प्रोत्साहित कर रही है।

UGC ने 2023 में विदेशी उच्च शैक्षिक संस्थानों (FHEIs) के लिए विनियम अधिसूचित किए, जो विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में अपने संसाधनों और बुनियादी ढांचे के साथ कैंपस स्थापित करने की अनुमति देते हैं। ये विनियम यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत में दी जाने वाली शिक्षा मूल देश के समान स्तर की हो और सभी लागू कानूनों का पालन करे।

भारत में अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों की पहल

इससे पहले, दो अन्य यूके विश्वविद्यालयों ने भारत में कैंपस स्थापित करने की घोषणा की थी। साउथैम्प्टन विश्वविद्यालय ने गुरुग्राम में सितंबर 2025 से अपना पहला प्रवेश चक्र शुरू किया है, जो भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। वहीं, लिवरपूल विश्वविद्यालय सितंबर 2026 तक बेंगलुरु में अपने कैंपस का संचालन शुरू करने की योजना बना रहा है। ये विकास भारत में वैश्विक शिक्षा के विस्तार को दर्शाते हैं।

भारत के लिए लाभ

विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस स्थापित होने से भारत को कई लाभ होंगे। सबसे पहले, भारतीय छात्रों को विदेश जाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे विदेशी शिक्षा की लागत और जटिलताएं कम होंगी। दूसरा, इन कैंपसों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि ये रोजगार के अवसर पैदा करेंगे और बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्साहित करेंगे। तीसरा, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग से भारत में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। अंत में, ये कैंपस अन्य देशों के छात्रों को भी भारत में पढ़ने के लिए आकर्षित करेंगे, जिससे भारत एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में उभरेगा।