
स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |
बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अशोक कुमार चौधरी ने 56 वर्ष की उम्र में एक खास उपलब्धि हासिल की है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) ने उन्हें राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद के लिए चयनित किया है। यह चयन प्रक्रिया 2020 में शुरू हुई थी, जिसमें कुल 4,638 आवेदकों ने भाग लिया था। चौधरी का नाम अनुसूचित जाति श्रेणी के तहत चयनित 274 उम्मीदवारों की सूची में शामिल हुआ है, जो कि राजनीति विज्ञान विषय में कुल 280 पदों के लिए थी।
2020 की विज्ञप्ति के अनुसार तय हुई पात्रता
हालांकि उनकी वर्तमान आयु 56 वर्ष है, लेकिन BSUSC द्वारा 1 जनवरी 2020 को जारी विज्ञापन में अधिकतम आयु सीमा 55 वर्ष तय की गई थी। उस समय वे इस मानदंड के अंतर्गत आते थे, जिससे उन्हें आवेदन की पात्रता मिली। चयन में उनके शैक्षणिक रिकॉर्ड, अनुभव, शोध कार्य और साक्षात्कार में प्रदर्शन को आधार बनाया गया।
राजनीति और शिक्षा का संगम
अशोक चौधरी, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नजदीकी माने जाते हैं, ने इसे अपने जीवन की दो बड़ी रुचियों—राजनीति और शिक्षा—का संगम बताया। उन्होंने मगध विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। चौधरी ने कहा कि उनके पिता, जो कभी बिहार में मंत्री रह चुके हैं, ने उन्हें राजनीति में आने से पहले शिक्षा को प्राथमिकता देने की सलाह दी थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे प्रोफेसर के रूप में सेवा तो देना चाहेंगे, लेकिन बिना वेतन के।
क्या दोनों भूमिकाएं निभाएंगे चौधरी?
चौधरी ने संकेत दिया कि यदि उनकी पोस्टिंग पटना या नजदीकी किसी संस्थान में होती है, तो वे दोनों जिम्मेदारियों को संतुलित करने का प्रयास करेंगे। हालांकि उनके परिवार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, वे संभवतः पद ग्रहण करने के तुरंत बाद अवकाश पर जा सकते हैं, ताकि राजनीतिक दायित्वों पर पूरा ध्यान दे सकें। उनकी बेटी और सांसद शांभवी चौधरी ने उनके चयन की पुष्टि की है।
विपक्ष का हमला, चौधरी का पलटवार
इस नियुक्ति पर विपक्षी दलों ने तंज कसा है। कांग्रेस ने कहा कि जब युवा नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब एक वरिष्ठ मंत्री को प्रोफेसर नियुक्त किया जा रहा है। साथ ही, इसे आरएसएस कोटा से जोड़ने की कोशिश भी की गई। कांग्रेस ने चौधरी के दामाद की हालिया नियुक्ति से जुड़े विवाद को भी उछाला। जवाब में चौधरी ने कहा कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शिता से पूरा किया और उनकी पात्रता पर कोई सवाल नहीं उठ सकता।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अशोक चौधरी का जन्म 25 फरवरी 1968 को शेखपुरा जिले के बरबीघा में हुआ था। वे पहले कांग्रेस में थे और साल 2000 में पहली बार विधायक बने। 2013 में उन्होंने बिहार कांग्रेस की कमान संभाली और 2018 में जदयू में शामिल हो गए। वे शिक्षा और भवन निर्माण जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं और नीतीश सरकार में प्रमुख मंत्रियों में से एक हैं।
आगामी कदम
BSUSC जल्द ही चयनित अभ्यर्थियों की पोस्टिंग करेगा, लेकिन अभी यह तय नहीं है कि चौधरी को किस विश्वविद्यालय में नियुक्त किया जाएगा। अगर पोस्टिंग अनुकूल रही, तो वे पढ़ाने और मंत्री पद की जिम्मेदारियों को साथ-साथ निभाने की कोशिश करेंगे। हालांकि, उनके अवकाश पर जाने की संभावना भी प्रबल है। उनका यह कदम शिक्षा और राजनीति को जोड़ने वाली एक दुर्लभ मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।