
स्टेट डेस्क, श्रेया पांडेय |
रामनगरी अयोध्या में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाली तिलोदकी गंगा नदी को पुनर्जीवित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना का शुभारंभ हो गया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित यह योजना जल स्रोतों के संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
तिलोदकी गंगा, जिसे ऐतिहासिक रूप से एक पवित्र नदी माना जाता है, बीते कई दशकों से उपेक्षा और अतिक्रमण का शिकार रही है। सरकार की योजना के पहले चरण में अयोध्या के सोहावाल क्षेत्र में लगभग 7 किलोमीटर लंबे हिस्से की सफाई और पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
परियोजना का उद्देश्य नदी की जलधारा को फिर से जीवंत करना, इसके दोनों किनारों को सौंदर्यीकृत करना और जल-प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए इसे एक मॉडल परियोजना के रूप में विकसित करना है।
अयोध्या के जिलाधिकारी ने बताया कि 30 जून तक पहले चरण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद जुलाई के पहले सप्ताह से नदी के दोनों किनारों पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा, जिसमें स्थानीय स्कूलों, स्वयंसेवी संस्थाओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
पर्यावरणविदों का मानना है कि इस नदी के पुनर्जीवन से न सिर्फ अयोध्या का प्राकृतिक संतुलन बेहतर होगा बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। चूंकि यह नदी धार्मिक आयोजनों और स्थानीय संस्कृति का हिस्सा रही है, इसका पुनर्जीवन स्थानीय लोगों के लिए भी गर्व और खुशी का विषय है।
स्थानीय निवासी रामकुमार वाजपेयी ने कहा, “हमने अपने बुजुर्गों से इस नदी की कथाएं सुनी हैं। वर्षों से यह सूखी पड़ी थी। अब सरकार ने इसे फिर से जीवन देने का जो कार्य शुरू किया है, उससे हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत लौटने की उम्मीद जगी है।”
यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "नदी पुनर्जीवन मिशन" के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य देश भर की छोटी-बड़ी नदियों का संरक्षण और पुनरुद्धार करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह योजना सफल होती है, तो देश भर में कई अन्य सूख चुकी नदियों के लिए यह एक मिसाल बन सकती है।
उत्तर प्रदेश सरकार इस परियोजना के लिए राज्य और केंद्र से विशेष बजट भी आवंटित करवा रही है, ताकि कार्य सुचारु रूप से चल सके और इसके पर्यावरणीय व सांस्कृतिक लाभ अधिकतम हो सकें।