
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। चुनाव आयोग सक्रिय रूप से योजनाएं बना रहा है और व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कई नए कदम उठा रहा है। सूत्रों के अनुसार, चुनाव दो से तीन चरणों में संपन्न हो सकते हैं। इसकी तिथियां दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहारों को ध्यान में रखकर तय की जाएंगी।
मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया तेज़;
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार बिहार का दौरा कर तैयारियों की समीक्षा करने वाले हैं। मतदाता सूची को सटीक और विवाद रहित बनाने के लिए सुधार किए जा रहे हैं। चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे और किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो।
पिछली बार के चुनाव भी कई चरणों में हुए थे;
बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है, इसलिए उससे पहले चुनाव कराना आवश्यक होगा। 2020 में बिहार में तीन चरणों में मतदान हुआ था। 28 अक्टूबर को 71 सीटों, 3 नवंबर को 94 सीटों और 7 नवंबर को 78 सीटों पर वोटिंग हुई थी। नतीजे 10 नवंबर को आए थे। 2015 में चुनाव पांच चरणों में कराए गए थे।
ईसीआईनेट सिस्टम से चुनाव प्रबंधन होगा सरल;
चुनाव आयोग इस बार ‘ईसीआईनेट’ नामक एकीकृत सिस्टम लेकर आ रहा है, जो पहले उपयोग में लाए जाने वाले 40 अलग-अलग ऐप्स और वेबसाइट्स की जगह लेगा। यह सिस्टम बिहार चुनाव से पहले पूरी तरह चालू हो जाएगा। डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर हटाए जा चुके हैं, और मतदाता सूची को मृत्यु पंजीकरण से जोड़ा जा रहा है ताकि मृत लोगों के नाम सूची से हटाए जा सकें।
मतदान केंद्रों में भी बदलाव की योजना;
अब प्रत्येक बूथ पर अधिकतम 1200 मतदाता ही होंगे, जो पहले 1500 थे। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त बूथ बनाए जाएंगे ताकि कोई भी मतदाता दो किलोमीटर से अधिक की दूरी तय न करे। मतदान केंद्र ऊंची इमारतों में भी बनाए जाएंगे, और मतदाताओं को मोबाइल जमा करने की सुविधा दी जाएगी। मतदाता पर्चियों पर सीरियल और पार्ट नंबर स्पष्ट रूप से अंकित रहेंगे।
AI से जुड़ी चुनावी चुनौतियों पर नजर;
चुनाव आयोग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से उत्पन्न खतरों से निपटने की योजना भी तैयार कर ली है। एआई आधारित प्रचार सामग्री की निगरानी के लिए अलग सेल बनाया जाएगा। राजनीतिक दलों को निर्देश दिया गया है कि वे स्पष्ट रूप से उल्लेख करें कि कोई भी प्रचार सामग्री एआई से निर्मित है, जिससे मतदाताओं को भ्रम न हो और सही जानकारी मिले।