
नेशनल डेस्क,नीतीश कुमार |
चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे 23 जून (सोमवार) को घोषित कर दिए गए। इनमें आम आदमी पार्टी (AAP) को दो सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा। ये उपचुनाव 19 जून 2025 को गुजरात, पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल में कराए गए थे।
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने सबसे बड़ा राजनीतिक उलटफेर किया। पंजाब की लुधियाना वेस्ट सीट पर AAP के राज्यसभा सांसद और उद्योगपति संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत भूषण आशु को भारी मतों से हराया। वहीं गुजरात की विसावदर सीट से AAP के गोपाल इटालिया ने BJP के किरीट पटेल को 17,581 वोटों के अंतर से पराजित किया।
गुजरात की ही-कड़ी (SC) सीट पर भाजपा के राजेंद्र छाबड़ा ने कांग्रेस के रमेश छाबड़ा को 39,452 मतों से हराकर पार्टी को उपचुनाव में एकमात्र जीत दिलाई।
पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट से तृणमूल कांग्रेस की अलीफा अहमद ने भाजपा के आशीष घोष को 48,673 वोटों से मात दी।
केरल की नीलांबुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आर्यादन शौकत ने CPI(M) के एम. स्वराज को 11,077 वोटों से हराकर पार्टी के लिए सफलता दर्ज की।
चुनाव आयोग ने बताया कि सभी मतगणना केंद्रों पर प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न हुई और परिणाम देर शाम तक घोषित कर दिए गए।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं;
- AAP नेताओं ने इन जीतों को ‘काम की राजनीति’ का तमगा दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा: “गुजरात में BJP की धक्केशाही को AAP ने डटकर हराया। गोपाल इटालिया की जीत कार्यकर्ताओं की मेहनत का नतीजा है।”
- तो वही AAP नेता संजय सिंह ने इसे “BJP के गढ़ में AAP की गजब जीत” बताया, तो वहीं अनुराग ढांडा ने कहा: “मोदी के गढ़ में केजरीवाल की वापसी हुई है।”
संजय सिंह के शब्द “BJP के गढ़ में झाड़ू का जलवा” पार्टी के उत्साह को बखूबी बयां करते हैं। पार्टी ने गुजरात और पंजाब की जीत को अपने संगठन और जनसमर्थन की दिशा में एक मजबूत संकेत बताया है।
पांच में से दो सीटों पर जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी इसे 2027 के गुजरात विधानसभा चुनावों के लिहाज से एक अहम पड़ाव मान रही है। वहीं भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को अपने-अपने क्षेत्रीय आधार पर संतुलन बनाए रखने में सीमित सफलता मिली है। इन परिणामों ने आगामी चुनावी वर्ष की रणनीति और जनमत की दिशा को लेकर राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दिया है।