
नेशनल डेस्क,नीतीश कुमार |
आतंकवाद की वैश्विक निगरानी संस्था एफएटीएफ ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की है, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे। संस्था ने अपने आधिकारिक बयान में यह स्पष्ट किया कि यह हमला और अन्य आतंकी घटनाएं उन फंडिंग और आर्थिक सहायता के बिना संभव नहीं होतीं जो आतंकियों को उनके समर्थकों से मिलती हैं।
एफएटीएफ ने अपने वक्तव्य में कहा, "आतंकवादी हमले वैश्विक स्तर पर जानें लेते हैं, लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से क्षति पहुंचाते हैं और भय का वातावरण बनाते हैं। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुआ क्रूर आतंकी हमला गहरी चिंता का विषय है, जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं। इस तरह के हमले फंडिंग और आतंक समर्थकों के बीच धन के लेन-देन के साधनों के बिना नहीं किए जा सकते।"
बिना किसी देश का नाम लिए एफएटीएफ ने यह भी कहा कि वह आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार कर रहा है।
बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि FATF अब उन कदमों की प्रभावशीलता पर केंद्रित है जो विभिन्न देशों द्वारा उठाए गए हैं। "हमने आपसी मूल्यांकन के ज़रिए उन कमियों की पहचान की है जिन्हें सुधारने की ज़रूरत है। इसके अलावा, FATF ने आतंकवादी वित्तपोषण जोखिमों पर मार्गदर्शन तैयार किया है, जिसका उद्देश्य 200 से अधिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा किए गए वैश्विक मूल्यांकन में सहायता प्रदान करना है।"
यह बयान ऐसे समय में आया है जब 22 अप्रैल के आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और गहरा गया है।
हालांकि पाकिस्तान ने हमले में अपनी भूमिका से इनकार किया है, भारतीय अधिकारियों का दावा है कि यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहयोगी टीआरएफ द्वारा अंजाम दिया गया है।
हमले के बाद भारत ने सीमा पार से आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की भूमिका और उसकी आर्थिक मदद पर भी गंभीर चिंता जताई है।
भारत की पाकिस्तान को फिर ग्रे लिस्ट में डालने की मांग;
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने जानकारी दी है कि भारत इस दिशा में प्रयासरत है कि पाकिस्तान को एक बार फिर FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाए। वर्तमान में ग्रे लिस्ट में 24 देश शामिल हैं, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग और हथियारों के प्रसार के लिए आर्थिक निगरानी रखी जा रही है।
पाकिस्तान इससे पहले कई बार ग्रे लिस्ट में डाला जा चुका है। पहली बार 2008 में और फिर हटाया गया। इसके बाद 2012 में दोबारा शामिल किया गया और 2015 में हटा दिया गया। जून 2018 में फिर सूचीबद्ध किया गया और अंततः अक्टूबर 2022 में इसे ग्रे लिस्ट से हटा दिया गया।