
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
इस्राइल और ईरान के बीच लगातार सात दिनों से जारी युद्ध को लेकर बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने मंगलवार को घोषणा की कि इस्राइल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के युद्धविराम (सीज़फायर) प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। यह फैसला इस्राइल द्वारा ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को “समाप्त करने” के बाद लिया गया है।
इस्राइल की ओर से जारी आधिकारिक बयान:
"इस्राइल राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिका का उनकी सुरक्षा में मदद और ईरानी परमाणु खतरे को समाप्त करने में साझेदारी के लिए आभार व्यक्त करता है।”
बयान में आगे कहा गया:
"ऑपरेशन के लक्ष्य की प्राप्ति और राष्ट्रपति ट्रंप के साथ पूर्ण समन्वय के बाद, इस्राइल ने आपसी युद्धविराम के प्रस्ताव को स्वीकार किया है।”
ट्रंप का बयान:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मंगलवार को पुष्टि की,
"अब इस्राइल और ईरान के बीच युद्धविराम लागू हो चुका है।”
उन्होंने दोनों देशों से इस युद्धविराम का सम्मान करने और कोई भी उल्लंघन न करने की अपील की है।
ट्रंप ने यह बयान उस समय दिया जब कुछ ही घंटे पहले ईरान ने इस्राइल पर मिसाइलों की बौछार कर दी थी, जिसमें कम से कम चार लोगों की मौत की पुष्टि इस्राइली एम्बुलेंस सेवा ने की है।
अब तक की पृष्ठभूमि:
बीते सप्ताह इज़राइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया था।
इन हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी मारे गए और नतांज़ व अराक जैसे परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा।
जवाब में ईरान ने तेल अवीव, हाइफा सहित कई इस्राइली शहरों पर मिसाइलें दागीं, जिससे भारी जनहानि हुई।
वैश्विक प्रतिक्रिया:
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, रूस, चीन, भारत और अन्य देशों ने युद्धविराम का स्वागत किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह युद्धविराम “अस्थायी राहत” है और स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।
इस्राइल और ईरान के बीच का यह युद्धविराम भले ही वर्तमान तनाव को थाम ले, लेकिन भविष्य में स्थायी शांति के लिए राजनयिक प्रयासों की आवश्यकता बनी रहेगी। इस पूरी स्थिति में अमेरिकी मध्यस्थता की भूमिका एक निर्णायक कारक के रूप में उभरी है।