
नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर |
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका खारिज की, आंतरिक जांच को दी वैधता
सुप्रीम कोर्ट ने कथित नकदी बरामदगी के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका के माध्यम से वर्मा ने आंतरिक जांच प्रक्रिया को चुनौती दी थी। न्यायालय ने जांच समिति की प्रक्रिया को कानूनी और संवैधानिक रूप से वैध ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए. जी. मसीह शामिल थे, ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा द्वारा दायर उस रिट याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने आंतरिक जांच समिति की वैधता पर सवाल उठाए थे। वर्मा पर नकदी बरामदगी के आरोप लगे हैं, जिसके चलते उनके खिलाफ जांच शुरू की गई थी।
पीठ ने कहा कि घटना की जांच के लिए गठित आंतरिक जांच समिति की प्रक्रिया गैरकानूनी नहीं थी। समिति ने ईमानदारी से जांच प्रक्रिया को पूरा किया और तस्वीरें व वीडियो भी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गईं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजना संवैधानिक रूप से अनुचित नहीं था। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ कार्रवाई का विकल्प खुला है।
पीठ ने कहा कि वर्मा की आंतरिक जांच में भागीदारी के बावजूद उनके आचरण से विश्वास नहीं पैदा हुआ, और इसी कारण समिति की रिपोर्ट को चुनौती देना अस्वीकृत किया गया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सार्वजनिक किया गया।
यह फैसला न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और आंतरिक अनुशासन की पुष्टि करता है।