
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
ईरानी स्टेट टेलीविजन ने देश के नागरिकों से एक बड़ा आह्वान करते हुए कहा है – “व्हाट्सएप हटाओ, ईरान बचाओ”। सरकार समर्थित चैनलों और अधिकारियों ने जनता से अपील की है कि वे अपने स्मार्टफोन से व्हाट्सएप ऐप को तुरंत डिलीट करें, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और ईरानी संप्रभुता के लिए खतरा बनता जा रहा है।
क्या है मामला?
ईरानी मीडिया और सरकार का कहना है कि व्हाट्सएप जैसे पश्चिमी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल ईरान-विरोधी प्रचार, जासूसी, और डाटा चोरी के लिए हो रहा है। हाल ही में हुए ईजराइल-ईरान संघर्ष और उससे जुड़ी खबरों के प्रसार को लेकर भी व्हाट्सएप को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
सरकारी सूत्रों ने आरोप लगाया है कि व्हाट्सएप के जरिए विदेशी एजेंसियां ईरान के भीतर भ्रम, अफवाहें और अशांति फैला रही हैं। साथ ही यह भी दावा किया गया कि व्हाट्सएप पर चल रहे चैट और कॉल्स को गोपनीय तरीके से मॉनिटर किया जा रहा है, जो ईरान की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
सरकार का तर्क
डेटा प्राइवेसी को लेकर व्हाट्सएप की नीतियों पर सवाल।
विदेशी सरकारों के इशारे पर उपयोगकर्ताओं की गतिविधियों पर निगरानी।
सोशल मीडिया के ज़रिए अस्थिरता फैलाने की कोशिशें।
क्या है विकल्प?
सरकारी चैनलों ने ईरानी नागरिकों से कहा है कि वे स्थानीय मैसेजिंग ऐप्स जैसे "Soroush", "Bale" और "Eitaa" का उपयोग करें, जो पूरी तरह ईरान सरकार द्वारा नियंत्रित और सुरक्षित माने जाते हैं।
आलोचना भी हो रही
हालांकि सरकार के इस कदम की कुछ वर्गों में आलोचना भी हो रही है। मानवाधिकार संगठनों और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। उनका कहना है कि सरकार स्वतंत्र संवाद और सूचनाओं की पहुंच को प्रतिबंधित कर रही है।
ईरान में व्हाट्सएप पर यह प्रतिबंध उस समय सामने आया है जब देश पहले से ही बाहरी दबावों और आंतरिक विरोधों से जूझ रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार की यह रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा को कितना मजबूत करती है या यह सामान्य नागरिकों की डिजिटल आज़ादी पर अंकुश बनकर सामने आती है।