अदालत अगर टैरिफ फैसले को रद्द करेगी, तो अमेरिका 1929 जैसी महामंदी में चला जाएगा: ट्रंप

विदेश डेस्क, ऋषि राज |
डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी: “अदालत अगर टैरिफ फैसले को रद्द करेगी, तो अमेरिका 1929 जैसी महामंदी में चला जाएगा”
राष्ट्रपति ट्रंप का दावा
अमेरिका में लागू की जा रही टैरिफ नीति पर अपनी रणनीतिक पकड़ मज़बूत बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कड़ा बयान जारी किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि अब अदालतें उनके समर्थक टैरिफ फैसलों को रद्द कर देती हैं, तो अमेरिका को 1929 जैसी ग्रेट डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है।
टैरिफ नीति का दायरा
यह टैरिफ नीति विशेष रूप से भारत पर केंद्रित है, जहाँ रुसी तेल आयात के प्रति यह कार्रवाई की गई है। ट्रंप प्रशासन ने पहले 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है और जल्द ही इसे 50% तक बढ़ाए जाने की बात कही जा रही है।
1929 की महामंदी—क्या थी वजह, क्या हुआ?
1929 की ग्रेट डिप्रेशन अमेरिकी और वैश्विक अर्थव्यवस्था का सबसे भयंकर संकट था, जिसने निम्नलिखित कारणों से जन्म लिया:
- शेयर बाजार का क्रैश गलती: 24-29 अक्टूबर 1929 को “ब्लैक थर्सडे/मंगलवार” के नाम से जाना जाता है, जब अचानक शेयर मार्केट गिरा, जिससे निवेशकों की अपार संपत्ति मिट गई ।
- अधिउत्पादन और मांग में कमी: उद्योगों ने उत्पादन बढ़ाया लेकिन मांग नहीं मिल सकी, जिससे लागत कम करने के लिए शेयर गिरवाए गए ।
- बैंकिंग संकट: शेयर बाजार के पतन से लोगों में बैंकिंग व्यवस्था पर अविश्वास पैदा हुआ; कई बैंक दिवाला हो गए ।
- बेरोज़गारी और उत्पादन में कमी: उत्पादन, रोजगार, GDP सभी में तेज गिरावट और दशकों लंबा आर्थिक पतन देखने को मिला ।
- वैश्विक व्यापार में गिरावट: दुनिया भर में व्यापार में 50% तक की गिरावट आई, जिससे मंदी और गहरी हुई ।
1929 की इस महामंदी ने न केवल आर्थिक जीवन को झकझोड़ा, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक नीतियों को भी मूलतः बदल दिया। यह दौर समझदार आर्थिक नीतियों, नियमन और सतर्कता की आवश्यकता का पाठ बन कर सामने आया।
ट्रंप द्वारा 1929 की महामंदी का हवाला देते हुए चेतावनी देना बता रहा है कि आर्थिक अस्थिर परिस्थिति में टैरिफ जैसे त्वरित रूख से भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यदि अदालतें उनके टैरिफों को रद्द कर देती हैं, तो ट्रंप का यह सुझाव कि यह अमेरिका के लिए एक बड़ी आर्थिक तबाही का मार्ग खोल सकता है—इतिहास ने इसकी सच्चाई साबित की है।