विदेश डेस्क, ऋषि राज |
अमेरिका ने गुरुवार को ईरान के खिलाफ नए और सख्त प्रतिबंधों की घोषणा की, जिनका उद्देश्य ईरान की अवैध पेट्रोलियम, शिपिंग और विमानन नेटवर्क को कमजोर करना और उन गतिविधियों पर अंकुश लगाना है जो कथित तौर पर देश की सेना एवं क्षेत्रीय छद्म ताकतों को आर्थिक रूप से सहयोग पहुँचाती हैं। अमेरिका का दावा है कि ईरान लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को दरकिनार कर तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों की अवैध ढुलाई कर रहा है और इसके जरिए मिलने वाले धन का उपयोग सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने में होता है।
अमेरिकी विदेश विभाग और वित्त विभाग द्वारा एक संयुक्त समन्वित अभियान के तहत यह प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस कार्रवाई में भारत, पनामा, सिंगापुर, अमीरात, सेशेल्स और जर्मनी सहित कई देशों की दर्जनों कंपनियों, व्यक्तियों, जहाजों और विमानों को निशाने पर लिया गया है। इन पर आरोप है कि उन्होंने ईरान के प्रतिबंधित तेल और पेट्रोलियम उत्पादों को ले जाने और बेचने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ईरान के नेटवर्क को कमजोर करने के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है, क्योंकि ईरान अपने तेल और गैस निर्यात को छिपाने के लिए जटिल सप्लाई चेन और मध्यस्थ कंपनियों का उपयोग करता है।
अमेरिका ने स्पष्ट कहा कि ये नए प्रतिबंध ईरान को अपनी गतिविधियाँ रोकने के लिए दबाव बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम हैं। अमेरिकी प्रशासन का यह भी दावा है कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य केवल ईरान पर आर्थिक दबाव बनाना नहीं, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजार की पारदर्शिता और सुरक्षा को बनाए रखना भी है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ईरान के तेल नेटवर्क में शामिल जहाज अक्सर अपनी लोकेशन ट्रैकिंग बंद कर देते हैं, समुद्र में जहाज-से-जहाज तेल हस्तांतरण करते हैं और अपने मालिकों तथा लाभार्थियों की असल पहचान छिपाते हैं। परिणामस्वरूप, यह गतिविधियाँ अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण और व्यापार व्यवस्था के लिए गंभीर जोखिम पैदा करती हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि यह नया प्रतिबंध पैकेज अमेरिका की उस दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वह ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव को सीमित करना चाहता है। अमेरिका का आरोप है कि ईरान अपने समर्थक समूहों को आर्थिक सहायता पहुंचाता है, जिससे मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ता है। हालांकि, ईरान इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहता है कि उसकी ऊर्जा व्यापार गतिविधियाँ पूरी तरह कानूनी हैं और पश्चिमी देशों के प्रतिबंध राजनीतिक कारणों से प्रेरित हैं।
नई कार्रवाई में प्रतिबंधित जहाजों और विमानों के साथ-साथ उन व्यक्तियों और कंपनियों को भी शामिल किया गया है जो ‘फ्रंट कंपनियों’ के तौर पर काम करते हुए ईरान के लिए लेन-देन को अंजाम देते हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इन उपायों के बाद संबंधित संपत्तियों को जब्त या फ्रीज किया जा सकता है, और उनके साथ किसी भी व्यवसायिक संबंध पर सख्ती से रोक होगी।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिबंधों की इस नई श्रृंखला से ईरान की अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ेगा, जबकि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा कीमतों और समुद्री व्यापार पर भी इसका असर देखा जा सकता है। अमेरिका ने संकेत दिया है कि यदि ईरान अपनी ‘अवैध गतिविधियाँ’ नहीं रोकता, तो आने वाले समय में और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं।
कुल मिलाकर, यह अमेरिकी कदम मध्य-पूर्व के भू-राजनीतिक परिदृश्य को एक बार फिर गर्माता हुआ दिख रहा है और आने वाले दिनों में इसके व्यापक कूटनीतिक प्रभाव दिखाई दे सकते हैं।







