इतिहास रचने की तैयारी: पहली बार रविवार को चलेगा विधानसभा सत्र, होगा पूरी तरह पेपरलेस

नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
दिल्ली विधानसभा एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। पहली बार, रविवार के दिन यानी 4 अगस्त 2025 को विधानसभा का सत्र आयोजित किया जाएगा। यह निर्णय परंपरा से हटकर है, क्योंकि आमतौर पर रविवार को सत्र नहीं होते हैं। यह सत्र 4 से 8 अगस्त तक चलेगा और इसे पूरी तरह डिजिटल और कागज़‑रहित स्वरूप में संचालित किया जाएगा। इस पहल के अंतर्गत NeVA (National e‑Vidhan Application) प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से विधानसभा की सारी कार्यवाहियाँ डिजिटल रूप में संचालित की जाएँगी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की है कि यह सत्र दिल्ली के विधायी इतिहास में एक नई शुरुआत होगी। सभी विधायक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करेंगे, जहाँ प्रश्न, विधेयक, प्रस्ताव और चर्चाएँ पेपरलेस रूप में उपलब्ध होंगी। सचिवालय में भी ई‑फाइल प्रणाली लागू की जाएगी और सभी दस्तावेज़ों पर डिजिटल हस्ताक्षर (e-signature) का उपयोग किया जाएगा। यह कदम "One Nation, One Application" के सिद्धांत के अनुरूप होगा और "Digital India" अभियान को सशक्त करेगा।
सत्र के पहले दिन, केंद्रीय कानून मंत्री अरुण राम मेघवाल विधानसभा परिसर में 500 kW क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन करेंगे। इस संयंत्र से विधानसभा अपनी बिजली की जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा अक्षय ऊर्जा से पूरा करेगी। इसी दिन NeVA प्लेटफ़ॉर्म का ट्रायल रन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें विधायक इसकी कार्यप्रणाली से परिचित होंगे और अभ्यास करेंगे।
इस सत्र में सरकार एक महत्वपूर्ण शिक्षा विधेयक भी पेश करने जा रही है। यह विधेयक दिल्ली के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में फीस और संचालन के नियमन से संबंधित होगा। इसका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। इस विधेयक को लेकर राजनीतिक चर्चा और बहस की संभावना भी है, क्योंकि विपक्ष पहले से ही सरकार की नीतियों को लेकर आलोचना कर रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष विजेंदर गुप्ता ने बताया है कि यह बदलाव तकनीक को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जोड़ने का प्रयास है। उनका कहना है कि पेपरलेस सत्र न केवल पर्यावरण के लिहाज़ से लाभकारी होगा, बल्कि इससे कार्यवाही में गति, पारदर्शिता और रिकॉर्ड‑प्रबंधन भी बेहतर होगा। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म विधायकों के काम को अधिक संगठित और सुलभ बनाएगा।
इस प्रकार, 4 अगस्त को होने वाला यह विधानसभा सत्र कई दृष्टियों से ऐतिहासिक साबित हो सकता है। यह न केवल परंपरा को तोड़ते हुए रविवार को आयोजित होगा, बल्कि तकनीकी रूप से पूरी तरह डिजिटाइज़ और पर्यावरण‑अनुकूल होने की दिशा में दिल्ली विधानसभा को अग्रणी बनाएगा। यह निर्णय राजधानी की शासन प्रणाली को भविष्य के लिए अधिक तैयार और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।