
स्टेट डेस्क, श्रेयांश पराशर |
उज्जैन के डोंगला में राष्ट्रीय खगोल कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे सीएम मोहन यादव, अत्याधुनिक तारामंडल का भी होगा लोकार्पण
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 21 जून को उज्जैन जिले के डोंगला गांव स्थित वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला में 'खगोल विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा' विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम के दौरान वे अत्याधुनिक डिजिटल तारामंडल का भी लोकार्पण करेंगे, जो ग्रामीण अंचलों में विज्ञान के प्रति रुचि और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
उज्जैन जिले के ऐतिहासिक ग्राम डोंगला में 21 जून को एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आयोजन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव यहां स्थित वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला में ‘खगोल विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर वह पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला में शंकु यंत्र के माध्यम से शून्य छाया अवलोकन भी करेंगे और नवीन डिजिटल तारामंडल का लोकार्पण करेंगे।
इस कार्यशाला में देशभर से प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, शिक्षाविद और विषय विशेषज्ञ भाग लेंगे। कार्यक्रम में योग शिविर, साइंस शो, स्टेम वर्कशॉप, शून्य छाया अवलोकन, व्याख्यान और परिचर्चा जैसे अनेक शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक सत्र आयोजित किए जाएंगे। कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय खगोल परंपरा को आधुनिक विज्ञान से जोड़ना और नई पीढ़ी में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना है।
कार्यक्रम का आयोजन मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, विज्ञान भारती, आचार्य वराहमिहिर न्यास, IIT इंदौर, विक्रम विश्वविद्यालय और अवादा फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है। लोकार्पित किया जा रहा तारामंडल 8 मीटर व्यास के FRP डोम में बना है, जिसमें ई-विजन 4K प्रोजेक्टर और डिजिटल साउंड सिस्टम लगे हैं। यह वातानुकूलित केंद्र 55 दर्शकों को एक साथ ब्रह्मांड की रोमांचक झलक दिखाने में सक्षम है। इसकी कुल लागत 1.6 करोड़ रुपये है।
वराहमिहिर वेधशाला को IIT इंदौर और अन्य संस्थानों के सहयोग से रिसर्च और शिक्षा के लिए उन्नत किया जा रहा है। यहां लगे 20 इंच के आधुनिक टेलीस्कोप को हाल ही में ऑटोमेशन सुविधा से जोड़ा गया है। यह वेधशाला ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ और नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को भी बल देती है।
कार्यक्रम में डॉ. शिवकुमार शर्मा, डॉ. गंटी एस. मूर्ति, डॉ. अरविंद रानाडे, डॉ. वसंत शिंदे और ISRO सहित कई वरिष्ठ वैज्ञानिक शामिल होंगे। यह आयोजन डोंगला को ‘डोंगला मीन टाइम’ की अवधारणा के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।