
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
केदारनाथ के पास हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सात की मौत, छह सप्ताह में पांचवीं घटना, खराब मौसम के कारण गौरीकुंड क्षेत्र में हुआ हादसा, चार धाम यात्रा की सुरक्षा पर उठे सवाल
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ से गुप्तकाशी जा रहे आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के एक हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से सात लोगों की मौत हो गई। यह हादसा रविवार सुबह करीब 5:30 बजे गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच जंगली क्षेत्र में हुआ। हेलीकॉप्टर में सवार सभी सात लोग, जिनमें पायलट और छह यात्री (पांच वयस्क और एक 23 महीने का बच्चा) शामिल थे, इस हादसे में मारे गए। प्रारंभिक जांच में खराब मौसम और खराब दृश्यता को दुर्घटना का मुख्य कारण माना जा रहा है। यह घटना चार धाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है, क्योंकि यह पिछले छह सप्ताह में उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर से जुड़ा पांचवां हादसा है।
हेलीकॉप्टर केदारनाथ धाम से सुबह 5:20 बजे गुप्तकाशी के लिए उड़ा था। इस 10 मिनट की उड़ान के दौरान, गौरीकुंड के पास यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूकेएडीए) के अनुसार, हेलीकॉप्टर में सवार यात्रियों में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के लोग शामिल थे। मृतकों की पहचान राजकुमार जायसवाल, श्रद्धा जायसवाल, काशी जायसवाल (23 महीने का बच्चा, महाराष्ट्र से), तुष्टि सिंह, विनोद, विक्रम सिंह रावत (बीकेटीसी कर्मचारी) और पायलट कैप्टन राजीव के रूप में हुई है। यह हादसा उस समय हुआ जब हेलीकॉप्टर घने कोहरे और खराब मौसम की स्थिति से जूझ रहा था, जिसने पायलट की दृश्यता को सीमित कर दिया।
स्थानीय लोगों की सूचना और राहत कार्य
दुर्घटना की पहली सूचना गौरीकुंड के ऊपर घास काट रही नेपाली महिलाओं ने दी, जो उस समय अपने मवेशियों के लिए चारा इकट्ठा करने गई थीं। उनकी सूचना के बाद, स्थानीय प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और स्थानीय पुलिस की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं। नोडल अधिकारी राहुल चौबे और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह राजवार ने दुर्घटना की पुष्टि की और बताया कि राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू किए गए। हालांकि, जब टीमें मौके पर पहुंचीं, तब तक हेलीकॉप्टर में सवार सभी लोगों की मौत हो चुकी थी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “रुद्रप्रयाग जिले में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना की अत्यंत दुखद खबर प्राप्त हुई है। एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और अन्य救ाव टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। बाबा केदार से सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं।” उनकी इस प्रतिक्रिया ने हादसे की गंभीरता को रेखांकित किया और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई को दर्शाया।
चार धाम यात्रा में सुरक्षा चिंताएं
यह हादसा उस समय हुआ है जब चार धाम यात्रा अपने चरम पर है। केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 मई को खुलने के बाद से यह पांचवां हेलीकॉप्टर हादसा है। इससे पहले, 7 जून 2025 को, एक हेलीकॉप्टर ने तकनीकी खराबी के कारण उत्तराखंड में एक हाईवे पर आपात लैंडिंग की थी। उस हादसे में हेलीकॉप्टर का टेल रोटर एक खड़ी कार से टकरा गया था, जिसमें पायलट को मामूली चोटें आई थीं, लेकिन पांच यात्री सुरक्षित रहे। इन लगातार हादसों ने हेलीकॉप्टर संचालन की सुरक्षा और रखरखाव प्रोटोकॉल पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम की अनिश्चितता और हेलीकॉप्टरों की तकनीकी जांच में कमी इन हादसों के प्रमुख कारण हो सकते हैं।
मृतकों का विवरण
मृतकों में शामिल लोग विभिन्न राज्यों से थे, जो केदारनाथ दर्शन के लिए आए थे। राजकुमार जायसवाल, श्रद्धा जायसवाल और उनका 23 महीने का बच्चा काशी जायसवाल महाराष्ट्र से थे। तुष्टि सिंह और विनोद के मूल निवास स्थान की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है। विक्रम सिंह रावत बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के कर्मचारी थे, जो स्थानीय स्तर पर मंदिर प्रशासन से जुड़े थे। पायलट कैप्टन राजीव उत्तराखंड से थे और अनुभवी पायलट माने जाते थे। इस हादसे ने न केवल यात्रियों के परिवारों, बल्कि पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी।
आगे की जांच और भविष्य के कदम
प्रशासन ने हादसे की जांच शुरू कर दी है, जिसमें हेलीकॉप्टर की तकनीकी स्थिति, पायलट के प्रशिक्षण और मौसम की स्थिति की गहन समीक्षा शामिल है। यह घटना चार धाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा प्रोटोकॉल की पुनर्समीक्षा की मांग को और मजबूत करती है। स्थानीय लोग और तीर्थयात्री अब मांग कर रहे हैं कि सरकार और नागरिक उड्डयन प्राधिकरण हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए कड़े नियम लागू करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर चेतावनी भी है। चार धाम यात्रा, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, के लिए सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करना अब प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।