
विदेश डेस्क, नीतीश कुमार ।
बिहार के न्यूरो सर्जन ने बनाए चार वर्ल्ड रिकॉर्ड, गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम; बोले- साथी ‘ए बिहरिया’ कहकर चिढ़ाते थे, आज उसी बिहारी पर देश को गर्व है..
"पिता का सपना था कि मैं डॉक्टर बनूं। मैं बना भी, लेकिन जब मेरी डॉक्टरी के चलते मेरा नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ, तब तक पिताजी इस दुनिया में नहीं रहे। जब मुझे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग में स्थान मिला, उस दिन उनकी खुशी देखने लायक थी। बचपन में मैं पढ़ाई में कमजोर था, पापा कई बार ताना देते थे कि पढ़ाई तुम्हारे बस की बात नहीं, आकर कारोबार संभालो। उनकी बातें दिल में चुभती थीं।"
यह कहानी है मोतिहारी के न्यूरो सर्जन डॉ. प्रकाश खेतान की, जिनका नाम 2011 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, 2012 में लिम्का बुक, 2014 में एशिया बुक और 2025 में इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। पद्मश्री सम्मान के लिए भी दो बार उनका नाम प्रस्तावित हुआ, लेकिन उम्र कम होने के कारण चयन नहीं हो पाया।
रेलवे लाइन किनारे के स्कूल से शुरुआत;
डॉ. प्रकाश खेतान का जन्म 1972 में मोतिहारी के एक व्यापारी पशुपति नाथ खेतान के घर हुआ। वह चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थे। 8वीं तक की पढ़ाई उन्होंने रेलवे लाइन किनारे मांटेसरी स्कूल से की। पढ़ाई में कमजोर होने के कारण पिता ने उन्हें 13 साल की उम्र में मध्य प्रदेश के भारत भारती रेसीडेंशियल स्कूल, बैतूल भेजा। फिर इंटरमीडिएट प्रयागराज से किया और 1987 में मोतिहारी लौटकर एमएस कॉलेज से साइकोलॉजी ऑनर्स किया।
1990 में पिता ने 4000 रुपए देकर दिल्ली भेजा ताकि वह आगे की पढ़ाई और मेडिकल की तैयारी कर सकें। दिल्ली में 15 दिन भटकते रहे, लेकिन कोई उचित स्थान नहीं मिला। जेबकतरे ने पैसे भी चुरा लिए। मायूस होकर लौटने की सोची, मगर रास्ते में इलाहाबाद स्टेशन पर उतर गए, जहां भाई के दोस्त के पास पहुंचे। वहीं से मेडिकल की कोचिंग शुरू की।
‘ए बिहरिया’ कहकर उड़ाते थे मजाक, मगर छोड़ी न हिम्मत;
कोचिंग में साथी छात्र उन्हें नाम से नहीं, ‘ए बिहरिया’ कहकर चिढ़ाते थे। लेकिन वह डिगे नहीं। 24 घंटे में 17-18 घंटे पढ़ाई करते। 1992 में CPMT परीक्षा पास की और मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद में दाखिला लिया। 1998 में MBBS और फिर इंटर्नशिप पूरी की। 2000 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनके पिताजी ने पहली बार गर्व से कहा- "मेरा सपना पूरा हुआ।"
2004 में MCH में एडमिशन लिया और फिर न्यूरो सर्जन के तौर पर नोएडा में पहली नौकरी की। कुछ समय बाद इलाहाबाद के जीवन ज्योति अस्पताल में डायरेक्टर और सर्जन बन गए।
12 घंटे तक की सर्जरी, गिनीज बुक में नाम;
12 सितंबर 2024 को 12 साल की परी सिंह नाम की बच्ची मिर्जापुर से जीवन ज्योति हॉस्पिटल पहुंची। उसकी रीढ़ की हड्डी में तरल से भरी 14 सेमी की सिस्ट थी, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो गया था। कोई भी डॉक्टर ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं था। डॉ. खेतान ने अपनी टीम के साथ 12 घंटे तक ऑपरेशन किया, हड्डी को बिना डैमेज किए सिस्ट निकाला और रीढ़ को फिर से जोड़ दिया। इस उपलब्धि के चलते उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया।