
विदेश डेस्क, ऋषि राज।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित टैरिफ नीति पर वैश्विक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। भारत समेत सभी ब्रिक्स देशों ने ट्रंप की इस नीति की घोर आलोचना की है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने संबोधन में अमेरिका की कड़ी चेतावनी दे डाली और कहा कि भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। इससे पहले चीन के विदेश मंत्री ने एक्स पर पोस्ट कर भारत और ब्राजील पर थोपे गए 50% टैरिफ की आलोचना की और इसको यू एन व विश्व व्यापार संगठन की नीतियों के खिलाफ बताया। ब्राजील के पीएम ने तो ट्रंप को करारा जबाव देते हुए कहा कि वह इस मुद्दे पर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से बात करेंगे न कि ट्रंप से। दक्षिण अफ्रीका पहले से ही ट्रंप के सनकी व्यवहार से खफा है। वहीं रूस और अमेरिका के बीच अदावत तेजी के साथ बढ़ रही है। ऐसे में ब्रिक्स देश राष्ट्रपति ट्रंप को जवाब देने के लिए अमेरिकी समानों पर टैरिफ बढ़ाने समेत अन्य जरूरी कदम उठाने पर तेजी से विचार कर रहे हैं।
टैरिफ को हथियार बना रहा है अमेरिका: चीन
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा:अमेरिका टैरिफ को राजनीतिक दबाव का हथियार बना रहा है। यह न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है, बल्कि WTO नियमों की भी अवहेलना है। ऐसे कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार की स्थिरता को नुकसान पहुंचाते हैं।
सोशल मीडिया पर चीनी राजदूत का पोस्ट
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने भी इस मुद्दे पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर विदेश मंत्री वांग यी का बयान शेयर किया। उन्होंने लिखा:"आप अगर धमकी देने वालों को एक इंच देंगे, तो वह एक मील ले लेंगे।" चीन ने ब्राजील के प्रति भी समर्थन जताते हुए कहा कि वह हर देश की संप्रभुता और विकास के अधिकार के साथ खड़ा है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो चीन सहित अन्य देशों पर 50% तक टैरिफ लगा सकते हैं। इस टैरिफ वॉर की संभावनाओं को देखते हुए BRICS देशों ने इसके खिलाफ रणनीति बनानी शुरू कर दी है और एक संयुक्त आर्थिक जवाब की तैयारी में हैं।
ट्रंप की नई टैरिफ नीति क्या है?
ट्रंप ने वादा किया था कि अगर वे 2025 में व्हाइट हाउस लौटते हैं, तो अमेरिका में आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाएंगे, जिससे अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा की जा सके। उन्होंने चीन पर विशेष रूप से 60% तक टैरिफ की बात कही है, जबकि अन्य देशों के लिए 10-50% तक शुल्क का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव को "अमेरिका फर्स्ट ट्रेड पॉलिसी" का हिस्सा बताया गया है।
BRICS क्यों चिंतित है?
BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और इसमें हाल ही में शामिल हुए नए सदस्य (जैसे ईरान, सऊदी अरब, UAE, मिस्र, इथियोपिया) इस नीति को एकतरफा और वैश्विक व्यापार के लिए खतरनाक मानते हैं। इन देशों का मानना है कि इससे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी।
BRICS की रणनीति
- संयुक्त व्यापार मंच: BRICS देशों ने एक संयुक्त व्यापार मंच की तैयारी शुरू कर दी है ताकि अमेरिकी टैरिफ नीति का जवाब मिलकर दिया जा सके।
- ब्रिक्स करेंसी योजना: डॉलर पर निर्भरता को कम करने के लिए BRICS अपनी साझा मुद्रा पर तेजी से काम कर रहा है। रूस और चीन पहले ही इससे जुड़े प्रयोग कर चुके हैं।
- वैकल्पिक ट्रेड रूट्स: ट्रंप की नीतियों के जवाब में BRICS देश वैकल्पिक ट्रेड रूट्स पर काम कर रहे हैं ताकि अमेरिका पर निर्भरता घटाई जा सके।
- WTO में विरोध: BRICS सदस्य अमेरिका की प्रस्तावित नीतियों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चुनौती देने की भी योजना बना रहे हैं।
भारत का रुख
भारत ने इस मुद्दे पर संतुलित रुख अपनाया है, लेकिन वह भी ट्रंप की नीतियों से चिंतित है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत अपने निर्यातकों को इस संभावित संकट से निपटने की तैयारी में लगा है और नए व्यापार समझौतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
वाणिज्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका इस तरह की टैरिफ नीति लागू करता है तो इससे वैश्विक मंदी की आशंका गहरा सकती है। भारत जैसे उभरते हुए देश, जो तकनीक, फार्मा और वस्त्र निर्यात पर निर्भर हैं, उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है। डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति सिर्फ अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया की व्यापार व्यवस्था को झकझोर सकती है। BRICS का संगठित जवाब यह संकेत देता है कि अब वैश्विक मंच पर विकसित बनाम विकासशील देशों की आर्थिक जंग और तीव्र हो सकती है। यदि टैरिफ वॉर सच में शुरू होता है, तो उसका असर हर देश के आम नागरिक और बाजारों पर भी पड़ेगा।