नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर l
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि जल, थल और वायु सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल ही भारतीय सशस्त्र बलों की असली ताकत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भविष्य के युद्ध अब अकेले किसी एक मोर्चे पर नहीं लड़े जाएंगे, बल्कि तीनों सेनाओं के एकीकृत संचालन से ही निर्णायक जीत संभव होगी। इस संदर्भ में उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंधु’ को तीनों सेनाओं के बीच उत्कृष्ट समन्वय का उल्लेखनीय उदाहरण बताया।
जनरल द्विवेदी सोमवार को मुंबई स्थित नेवल डॉकयार्ड में आयोजित उस कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां देश में विकसित और डिजाइन की गई पनडुब्बीरोधी युद्धपोत आईएनएस माहे को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि आईएनएस माहे का शामिल होना न केवल नौसेना की ताकत बढ़ाता है, बल्कि यह भारत की स्वदेशी तकनीक की बढ़ती क्षमता का भी प्रमाण है। जटिल युद्धपोतों को डिजाइन करने और निर्माण के बाद उन्हें समुद्र में सफलतापूर्वक उतारने की क्षमता भारत को समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में और मजबूत बनाती है।
सेना प्रमुख ने आगे कहा कि इस जहाज़ के शामिल होने से भारतीय नौसेना की समुद्र में उपस्थिति और दबदबा और बढ़ेगा। यह युद्धपोत तटीय सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करेगा और समुद्री इलाकों में भारत के सामरिक हितों की रक्षा करने की क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए ऐसे स्वदेशी जहाज़ों का निर्माण आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूती देता है।
जनरल द्विवेदि ने कार्यक्रम में मौजूद अधिकारियों और नौसैनिक कर्मियों की सराहना करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा में नौसेना की भूमिका निर्णायक होती जा रही है और आईएनएस माहे जैसे जहाज़ भविष्य की चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह युद्धपोत भारत की समुद्री शक्ति को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।






