
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
शशि थरूर के लेख ने बढ़ाया विवाद, पार्टी ने बनाई दूरी, X पर क्रिप्टिक पोस्ट से दिया जवाब, ऑपरेशन सिंदूर पर थरूर की टिप्पणी से पार्टी में तनाव, स्वतंत्र राय या नेतृत्व को चुनौती?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने से पार्टी के भीतर तूफान खड़ा हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने थरूर पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग “मोदी पहले, देश बाद में” की सोच रखते हैं, जबकि पार्टी का मंत्र “देश पहले, पार्टी बाद में” है। यह विवाद थरूर के द हिंदू में 23 जून 2025 को प्रकाशित एक लेख के बाद शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद मोदी की वैश्विक मंच पर ऊर्जा, गतिशीलता और संवाद की इच्छा को भारत के लिए “महत्वपूर्ण संपत्ति” बताया। खरगे की टिप्पणी के तुरंत बाद, थरूर ने X पर एक क्रिप्टिक पोस्ट साझा की, जिसमें एक पक्षी की तस्वीर के साथ लिखा, “उड़ने के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं... पंख आपके हैं, और आसमान किसी का नहीं।“ यह पोस्ट उनकी स्वतंत्रता और व्यक्तिगत राय के प्रति दृष्टिकोण को दर्शाती प्रतीत होती है।
कांग्रेस ने थरूर के बयान से साफ दूरी बना ली। पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनात ने कहा, “यह थरूर की निजी राय है, यह कांग्रेस की राय नहीं है। हमने अपने दृष्टिकोण को सबूतों और प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया है।“ यह बयान उस समय आया जब कांग्रेस लगातार मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठा रही है, जिसमें भारत-पाकिस्तान संबंध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावे शामिल हैं। थरूर की टिप्पणियां पार्टी की आधिकारिक लाइन से भटकती दिखीं, जिससे पार्टी के भीतर तनाव बढ़ गया।
थरूर ने अपने बचाव में कहा कि उनका लेख राष्ट्रीय एकता और भारत के हितों को दर्शाता है, न कि भाजपा में शामिल होने का संकेत। 24 जून 2025 को मॉस्को में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणियां राष्ट्रीय हितों के समर्थन में थीं, न कि किसी राजनीतिक दल के लिए। फिर भी, कुछ कांग्रेस नेताओं ने उन पर भाजपा के “सुपर प्रवक्ता” होने का आरोप लगाया, जिससे पार्टी के भीतर मतभेद और गहरे हो गए।
यह विवाद उस समय सामने आया जब कांग्रेस पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव और सरकार की विदेश नीति को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए थी। थरूर की टिप्पणियों को पार्टी नेतृत्व के लिए असहज माना जा रहा है, क्योंकि यह कांग्रेस की उस आलोचना के विपरीत है, जिसमें वह सरकार की नीतियों को “टूटी हुई” और भारत को वैश्विक मंच पर “अलग-थलग” बता रही थी।
खरगे ने अपने बयान में थरूर की अंग्रेजी भाषा की तारीफ करते हुए हल्के अंदाज में कहा, “मैं अंग्रेजी अच्छी तरह से नहीं पढ़ पाता। उनकी भाषा बहुत अच्छी है, इसलिए हमने उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया।“ लेकिन इसके साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस का रुख देश को प्राथमिकता देना है, न कि किसी व्यक्ति विशेष को। उनकी यह टिप्पणी थरूर के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है, जो पहले भी अपनी स्वतंत्र टिप्पणियों के लिए पार्टी की आलोचना का सामना कर चुके हैं।
भाजपा ने इस विवाद का फायदा उठाते हुए कहा कि थरूर की तारीफ राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाती है और यह दर्शाती है कि कांग्रेस के भीतर भी मोदी के प्रति सम्मान है। पार्टी ने इसे कांग्रेस की आंतरिक कमजोरी के रूप में पेश किया। इस बीच, थरूर की X पोस्ट ने सोशल मीडिया पर भी चर्चा छेड़ दी, जहां कुछ ने इसे उनकी स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति माना, तो कुछ ने इसे पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत का संकेत बताया।
थरूर का लेख और उससे उपजा विवाद कांग्रेस के लिए एक नाजुक दौर में आया है, जब पार्टी विपक्ष के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर थरूर का रुख भले ही देशहित में हो, लेकिन यह पार्टी की रणनीति से मेल नहीं खाता। इससे पहले भी थरूर अपनी टिप्पणियों के लिए पार्टी के भीतर आलोचना का सामना कर चुके हैं, और यह घटना उनके और नेतृत्व के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है।
यह मामला न केवल कांग्रेस की आंतरिक राजनीति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विपक्षी दल में राष्ट्रीय हितों और पार्टी लाइन के बीच संतुलन बनाना कितना जटिल हो सकता है। थरूर की तारीफ और खरगे की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या कांग्रेस में व्यक्तिगत राय की स्वतंत्रता को जगह मिल सकती है, या पार्टी अनुशासन को प्राथमिकता देगी।