नेशनल डेस्क , श्रेयांश पराशर l
न्यायपालिका के उच्चतम पद पर एक नई शुरुआत करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आज भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में एक औपचारिक समारोह के दौरान पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह में देश की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के कई शीर्ष पदाधिकारी मौजूद रहे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का कार्यकाल फरवरी 2027 तक रहेगा। उन्होंने न्यायमूर्ति बी. आर. गवई का स्थान लिया है, जो 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए। नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में सूर्यकांत के सामने लंबित मामलों के तेजी से निपटान, न्याय तक आसान पहुंच, तकनीक आधारित न्याय प्रणाली को मजबूत करने और अदालतों में बेहतर पारदर्शिता सुनिश्चित करने जैसी कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ होंगी।
शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी, स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी सहित कई अन्य केंद्रीय मंत्री और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर की भव्यता और गंभीरता ने न्यायपालिका की महत्ता को पुनः रेखांकित किया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत अपने व्यावहारिक दृष्टिकोण, आम लोगों के लिए न्याय सुलभ बनाने की प्रतिबद्धता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति गहरी समझ के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक सुधारों में नई गति आने की उम्मीद जताई जा रही है। देश के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में सूर्यकांत का दायित्व न केवल सर्वोच्च न्यायालय का नेतृत्व संभालना है, बल्कि न्याय व्यवस्था में जनता के विश्वास को और मजबूत करना भी है। शपथ ग्रहण के साथ ही देश की न्यायपालिका एक नए अध्याय में प्रवेश कर गई है।







