
मोतिहारी, एन.के. सिंह
पटना हाईकोर्ट ने मोतिहारी की ऐतिहासिक मोतीझील के पुनरुद्धार में हो रही अभूतपूर्व देरी पर *राज्य सरकार पर 10,000 का कड़ा जुर्माना लगाया है। यह फैसला मोतिहारी के उन लाखों नागरिकों के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है, जो लंबे समय से अपनी इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासत को बचाने और पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
उच्च न्यायालय ने 2 मई, 2025 को दिए गए अपने पिछले आदेश का पालन न करने पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की। कोर्ट ने न केवल जुर्माना लगाया, बल्कि इस मामले में जवाबदेही तय करने और तत्काल जांच के आदेश भी दिए हैं।
"जनता की आवाज़ मजबूत हो तो सत्ता को भी झुकना पड़ता है": कुमार अमित
इस मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता और जन सुराज नेता कुमार अमित जो मोतिहारी विधानसभा के भावी प्रत्याशी भी हैं, ने इस फैसले को "एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि मोतिहारी के हर उस नागरिक की जीत बताया है। उन्होंने भावुक होकर कहा कि उन्होंने यह याचिका एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि "मोतिहारी के बेटे" के रूप में दायर की थी।
कुमार अमित ने जोर देकर कहा "अब यह साफ हो गया है कि जनता की आवाज़ अगर मजबूत हो, तो सत्ता को भी झुकना पड़ता है।" उन्होंने सरकार से सीधा सवाल किया कि2 मई, 2025 के कोर्ट आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया?उन्होंने यह भी दोहराया कि मोतीझील को उसका सम्मान वापस दिलाकर ही रहेंगे।
जन सुराज का संघर्ष: जनता के लिए, ज़मीन से जुड़ा हुआ, न्याय के साथ
पटना हाईकोर्ट का यह फैसला जन सुराज अभियान के उस मूल सिद्धांत को मज़बूत करता है, जिसके तहत वे जनता के लिए, ज़मीन से जुड़कर और न्याय के साथ संघर्ष करने की बात करते हैं। मोतीझील के पुनरुद्धार का यह मामला न केवल पर्यावरण संरक्षण और ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, बल्कि *जनहित और प्रशासनिक जवाबदेही के लिए भी एक मील का पत्थर बन गया है।
अब सभी की निगाहें राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वह उच्च न्यायालय के इस सख्त आदेश का पालन कैसे करती है और मोतिहारी की जीवनरेखा मोतीझील को उसका खोया हुआ गौरव कब तक वापस मिलता है। क्या सरकार इस बार अदालत के आदेश का सम्मान करेगी और मोतिहारी की जनता को न्याय मिलेगा? समय ही बताएगा।