Ad Image
PM मोदी ने त्रिनिदाद के पीएम कमला बिसेसर को भेंट की राममंदिर की प्रतिकृति || दिल्ली: आज से RSS के प्रांत प्रचारकों की बैठक, 6 जुलाई को होगी समाप्त || सहरसा: जिला मत्स्य पदाधिकारी को 40 हजार घूस लेते निगरानी ने किया गिरफ्तार || विकासशील देशों को साथ लिए बिना दुनिया की प्रगति नहीं होगी: PM मोदी || संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल कर चुनाव जीतना चाहती भाजपा: पशुपति पारस || मधुबनी: रहिका के अंचलाधिकारी और प्रधान सहायक घूस लेते गिरफ्तार || बिहार: BSF की सपना कुमारी ने विश्व पुलिस गेम्स में जीते 3 पदक || PM मोदी को मिला घाना का राष्ट्रीय सम्मान, राष्ट्रपति जॉन महामा ने किया सम्मानित || एक लाख करोड़ वाली आर डी आई योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी || तेलंगाना : केमिकल फैक्ट्री में धमाका, 8 की मौत और 20 से अधिक घायल

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

बिहार: 1000 लड़कों पर महज 891 लड़कियां, गिरा लिंगानुपात

स्टेट डेस्क, श्रेयांश पराशर |

बिहार में गिरा लिंगानुपात, 1000 लड़कों पर महज 891 लड़कियां 
बिहार में जन्म के समय लिंगानुपात को लेकर चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य में बेटियों की तुलना में बेटों का जन्म अनुपात लगातार घटता जा रहा है।

बिहार में जन्म के समय लिंगानुपात में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सीआरएस की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में प्रत्येक 1000 लड़कों पर केवल 891 लड़कियों का जन्म हुआ है, जो राष्ट्रीय औसत 943 से काफी नीचे है। यह आंकड़ा वर्ष 2022 के लिए है, जिसे आधार वर्ष माना गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2020 से लगातार हर साल लिंगानुपात में गिरावट आ रही है। वर्ष 2021 में यह आंकड़ा 908 था, जो 2022 में और गिरकर 891 पर पहुँच गया। दो वर्षों में कुल 73 अंकों की कमी दर्ज की गई है। यह राज्य में बेटियों की घटती संख्या को दर्शाता है और सामाजिक संतुलन के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।

हालांकि, कुल जन्म के आंकड़ों की बात करें तो बिहार देश में तीसरे स्थान पर है। यहां वर्ष 2022 में कुल 30.70 लाख बच्चों का जन्म हुआ, जिनमें 13.10 लाख लड़कियां और 14.70 लाख लड़के शामिल हैं। प्रतिशत के लिहाज से देखें तो 52.4% लड़कों और 47.6% लड़कियों का जन्म हुआ।

विशेषज्ञों का मानना है कि लिंगानुपात में यह गिरावट सामाजिक सोच, भ्रूण लिंग जांच, और बालिकाओं के प्रति भेदभाव का परिणाम हो सकती है। सरकार को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि बेटियों को समान अवसर और संरक्षण मिल सके।