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बिहार: इंजीनियरिंग कॉलेजों के अतिथि अनुदेशकों ने की नियमित करने की मांग

स्टेट डेस्क, एन.के. सिंह |

अस्थिरता और आर्थिक असुरक्षा के कारण  मानसिक दबाव, नौकरी की अनिश्चितता उनके व्यक्तिगत जीवन पर डाल रही नकारात्मक प्रभाव।

बिहार के इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेजों में कार्यरत अतिथि तकनीकी सहायक और अनुदेशक, जो पिछले कई वर्षों से अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, अब नियमितीकरण (समायोजन) की मांग कर रहे हैं। इन कर्मचारियों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, बिहार सरकार से अपील की है कि उनके वर्षों के समर्पण और अनुभव को देखते हुए उनकी सेवाओं को स्थायी किया जाए।

कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन

अतिथि तकनीकी सहायकों और अनुदेशकों ने बताया कि वे केवल शैक्षणिक कार्य ही नहीं करते, बल्कि प्रयोगशालाओं का संचालन भी करते हैं, जो किसी भी तकनीकी संस्थान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके अलावा, वे विभागाध्यक्ष और प्राचार्यों द्वारा दिए गए प्रशासनिक और तकनीकी जिम्मेदारियों को भी पूरी ईमानदारी से निभाते हैं।  इन कर्मचारियों का कहना है कि उनके सामूहिक प्रयासों ने इन संस्थानों की शैक्षणिक गुणवत्ता और प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे संस्थानों की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि हुई है।

अस्थिरता और आर्थिक असुरक्षा का दर्द

लंबे समय तक काम करने के बावजूद, इन कर्मचारियों को स्थायित्व नहीं मिला है। इस कारण वे निराशा और मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं। उनका कहना है कि नौकरी की अनिश्चितता और आर्थिक असुरक्षा ने उनके निजी जीवन पर बुरा असर डाला है।  एक ओर, वे संस्थानों को बेहतर बनाने में योगदान दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, उन्हें खुद के भविष्य को लेकर चिंता सता रही है।

सरकार से अपील

इन अतिथि कर्मचारियों ने सरकार से अपील की है कि उनके दीर्घकालिक समर्पण, कार्यकुशलता और योगदान को देखते हुए उनके समायोजन की दिशा में जल्द से जल्द कोई सकारात्मक कदम उठाया जाए। उनका मानना है कि सरकार को उनकी स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए और उन्हें स्थायी नौकरी का अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि वे बिना किसी चिंता के अपनी सेवाएँ जारी रख सकें।