
पूर्वी चंपारण |
जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय ने नवाचार लाने वाले शिक्षकों की सराहना की, कहा-ये शिक्षक शिक्षा व्यवस्था में क्रांति ला रहे हैं।
बिहार के शिक्षा जगत में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण उस वक्त दर्ज हुआ जब मोतिहारी के जिला परिषद सभागार में 'द बिहार टीचर्स हिस्ट्री मेकर्स' (#TBT) और 'मेरा मोबाइल मेरी शिक्षा' फेसबुक मंच के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना और उन शिक्षकों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना था, जिन्होंने पारंपरिक पद्धतियों से हटकर कुछ नया कर दिखाया।
समारोह में मुख्य अतिथि जिला परिषद अध्यक्ष ममता राय ने नवाचारी शिक्षकों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे मंच न केवल शिक्षकों के मनोबल को बढ़ाते हैं, बल्कि शिक्षा में सकारात्मक बदलाव के वाहक भी बनते हैं। उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों के प्रयासों से सरकारी स्कूलों में भी रचनात्मकता और डिजिटल साधनों के माध्यम से आधुनिक शिक्षा की नींव रखी जा रही है।
इस कार्यक्रम में तिरहुत प्रमंडल के छह जिलों से करीब 250 नवाचारी शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इनमें अरेराज निवासी योगगुरु आदित्य पाण्डेय और सुरपनिया के राजीव झा जैसे शिक्षक शामिल हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों से बच्चों में जिज्ञासा, रचनात्मकता और सीखने की ललक को नये आयाम दिए। ये शिक्षक खेल-खेल में पढ़ाई, डिजिटल उपकरणों के प्रयोग और बाल मनोविज्ञान के अनुरूप पढ़ाने की विधियों को अपनाकर बच्चों को न केवल अच्छे अंक दिला रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और व्यवहारिक बना रहे हैं।
कार्यक्रम में मेयर प्रीति कुमारी, जिला परि. शि. स. ईश्वर चंद्र मिश्रा, शिक्षाविद संजय तिवारी, उमेश कुमार गुप्ता, मंजू कुमारी और विजय कुमार पांडेय विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। टीबीटी के संरक्षक व आर्यभट्ट विश्वविद्यालय के पूर्व डीन ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह को और भी विशिष्ट बना दिया।
इस मंच का संचालन रजनीश कुमार ने कुशलता से किया। वहीं मंच की निगरानी टीबीटी फाउंडर डॉ. कुमार गौरव, उपाध्यक्ष मो. जियाउल होदा और कोषाध्यक्ष सह स्टेट कल्चरल हेड अरविन्द कुमार ने की। प्रवक्ता शिव कुमार ने जानकारी दी कि कार्यक्रम में शिक्षिका अलका शुक्ला, माला सिन्हा, ओनम सिंह और पुष्पा गुप्ता की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही।
यह आयोजन सिर्फ एक सम्मान समारोह नहीं, बल्कि बिहार की शिक्षा प्रणाली में नवाचार की लहर लाने वाले उन शिक्षकों को सलामी थी जो अपने जुनून, मेहनत और सोच से सरकारी विद्यालयों की तस्वीर बदल रहे हैं। यह आयोजन उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो मानते हैं कि एक शिक्षक के प्रयास से समाज में बदलाव संभव है।