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बिहार में ग्रामीण बदलाव की नई पहल: हर पंचायत में बनेगा विवाह भवन, ₹4,026 करोड़ की योजना को मंजूरी

स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |

'मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना' से बदलेगा गांवों का सामाजिक परिदृश्य

बिहार सरकार ने गांवों की सामाजिक संरचना को मजबूती देने के उद्देश्य से एक बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है। बुधवार को कैबिनेट ने ₹4,026 करोड़ की लागत से राज्य की सभी 8,053 ग्राम पंचायतों में विवाह भवन निर्माण की योजना को हरी झंडी दे दी। इस योजना को 'मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना' नाम दिया गया है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को विवाह सहित अन्य सामाजिक आयोजनों के लिए एक सम्मानजनक स्थान उपलब्ध कराएगी।

प्रत्येक पंचायत में बनने वाले इन भवनों पर ₹50 लाख की लागत आएगी और इनका निर्माण आगामी पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। इस योजना की खास बात यह है कि इन भवनों का संचालन स्वयं-सहायता समूहों की महिलाएं, यानी 'जीविका दीदियाँ', करेंगी, जिससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिलेगा और आर्थिक मजबूती भी।

सामाजिक आयोजनों में राहत, महिलाओं को मिलेगा सशक्तिकरण

इस योजना का मुख्य मकसद यह है कि गरीब परिवारों की बेटियों की शादी अब बिना भारी खर्च के, सम्मान के साथ हो सके। साथ ही, पंचायतें इन भवनों से आमदनी भी कमा सकेंगी और महिलाओं को नया रोजगार मिलेगा। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में लैंगिक समानता को बल मिलेगा, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील निर्माण के ज़रिए प्रकृति का भी ख्याल रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योजना की घोषणा करते हुए कहा, “हमारे गांवों की बेटियों की शादी गरिमापूर्ण ढंग से हो, इसके लिए सरकार वचनबद्ध है। ये भवन ग्रामीण समुदायों को एकजुट करेंगे और गरीब परिवारों के लिए मददगार साबित होंगे।”

पांच साल में पूरा होगा निर्माण कार्य

योजना के अनुसार, हर पंचायत में ₹50 लाख की लागत से एक विवाह भवन बनाया जाएगा। पांच वर्षों की अवधि में इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी भी 'जीविका दीदियों' के हाथों में दी जाएगी, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी।

समर्थन और आलोचना साथ-साथ

जहां एक ओर सरकार इसे गांवों के लिए एक क्रांतिकारी कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर आलोचकों का कहना है कि इतनी बड़ी रकम को शिक्षा, स्वास्थ्य या रोज़गार जैसे बुनियादी ज़रूरतों पर खर्च किया जाना चाहिए था। सोशल मीडिया पर भी यह योजना चर्चा में है, जिसमें जनता की राय बंटी हुई है।

‘दीदी की रसोई’ से होगा समन्वय

योजना के साथ ‘दीदी की रसोई’ नामक एक और कल्याणकारी पहल को भी जोड़ा गया है, जहां ग्रामीणों को रियायती दर पर भोजन मिलेगा। इस तरह की संयुक्त पहलों से गांवों में समग्र विकास की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाए जा रहे हैं। दोनों योजनाओं में ‘जीविका दीदियों’ की भूमिका केंद्रीय होगी, जो महिलाओं के लिए नया सशक्तिकरण मॉडल प्रस्तुत करेगी।

सामाजिक समरसता और पर्यावरण के लिए पहल

विवाह भवन न सिर्फ सामाजिक आयोजनों के लिए मंच बनेंगे, बल्कि गांवों में आपसी सहयोग, भाईचारे और एकता को भी बढ़ावा देंगे। निर्माण में स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर पर्यावरण को भी ध्यान में रखा जाएगा, जिससे योजना को टिकाऊ और व्यावहारिक बनाया जा सके।

पांच वर्षों में नई तस्वीर

पांच साल की समयसीमा में सभी पंचायतों में भवन निर्माण का लक्ष्य है। हर साल कई पंचायतों में निर्माण कार्य शुरू होगा, जो ग्रामीण विकास की दिशा में ठोस बदलाव लेकर आएगा। इससे न केवल बुनियादी ढांचा मजबूत होगा, बल्कि गांवों की जीवनशैली में भी बदलाव आएगा।

उम्मीद और आलोचना के बीच योजना की निगरानी

इस योजना को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह है। लोग इसे अपने सामाजिक आयोजनों की समस्याओं का समाधान मान रहे हैं, जबकि कुछ विशेषज्ञ इसकी उपयोगिता और खर्च पर सवाल उठा रहे हैं। बावजूद इसके, सरकार इसे पूरी निष्ठा से लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध नजर आ रही है।