
राष्ट्रीय डेस्क, आर्या कुमारी |
केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा (Brain Eating Amoeba) ने एक बार फिर दहशत फैला दी है। इस साल अब तक 69 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 18 लोगों की जान जा चुकी है। खतरे की बात यह है कि इसके शुरुआती संकेत साधारण बुखार और सिरदर्द जैसे होते हैं। आइए जानते हैं इससे बचने के उपाय।
केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा (Brain Eating Amoeba in Kerala) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस साल यहां लगभग 69 केस दर्ज हुए हैं, जिनमें 18 की मौत हो गई है। यह संक्रमण नाम जितना डरावना लगता है, उतना ही जानलेवा भी है। ज्यादातर मामलों में यह संक्रमण घातक साबित होता है। आइए समझते हैं कि ब्रेन ईटिंग अमीबा का संक्रमण कैसे फैलता है, इसके लक्षण (Brain Eating Amoeba Symptoms) क्या हैं और इससे बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या है?
ब्रेन ईटिंग अमीबा का वैज्ञानिक नाम नैग्लेरिया फाउलरि (Naegleria fowleri) है। यह आमतौर पर गर्म और मीठे पानी जैसे झीलों, नदियों, तालाबों, गर्म पानी के झरनों और कभी-कभी स्विमिंग पूल में पाया जाता है। यह गर्म तापमान में तेजी से बढ़ता है। यह प्राइमरी एमीबिक मेनिनजोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक ब्रेन इन्फेक्शन का कारण बनता है। इसे "ब्रेन-ईटिंग" इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिमाग में पहुंचते ही मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
लक्षण कैसे दिखाई देते हैं?
संक्रमण के लक्षण आमतौर पर पानी के संपर्क में आने के 1 से 9 दिनों के बीच प्रकट होते हैं। शुरुआत में यह वायरल बुखार या मेनिन्जाइटिस जैसा प्रतीत होता है, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति गंभीर हो जाती है।
शुरुआती लक्षण (पहले 5 दिन)
- तेज सिरदर्द
- बुखार
- उल्टी और मतली
- गर्दन में अकड़न
- थकान और कमजोरी
- गंभीर लक्षण (5वें दिन के बाद)
- दौरे आना
- मानसिक भ्रम
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- संतुलन बिगड़ना
- कोमा में जाना
यह संक्रमण बेहद तेजी से बढ़ता है और लक्षण आने के 1 से 18 दिनों के भीतर मृत्यु का कारण बन सकता है। इसलिए, यदि किसी को बुखार और सिरदर्द हो और हाल ही में गर्म मीठे पानी में तैराकी की हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
बचाव के उपाय
इस संक्रमण का इलाज बहुत मुश्किल है, इसलिए बचाव ही सबसे बेहतर और एकमात्र तरीका है। तैराकी करते समय नाक बंद रखना या नोज क्लिप का इस्तेमाल करना जरूरी है ताकि पानी नाक में न जा सके। सिर को पानी के अंदर ले जाने या डुबकी लगाने से बचना चाहिए, खासकर वहां जहां पानी गर्म और स्थिर हो। घर में नाक धोने के लिए केवल उबला, फिल्टर्ड या स्टेरलाइज्ड पानी ही इस्तेमाल करना चाहिए और नल का पानी सीधे नाक में नहीं डालना चाहिए। स्विमिंग पूल की सफाई और उसका पानी क्लोरीनेटेड होना जरूरी है। इसके अलावा, गर्म मौसम में ऐसे जलस्रोतों में तैरने से बचना चाहिए जिनकी गुणवत्ता के बारे में पक्का न हो।