
विदेश डेस्क, श्रेया पांडेय |
भारत ने 5 जुलाई 2025 को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अमेरिका द्वारा ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए भारी शुल्क के खिलाफ एक ठोस कदम उठाया है। भारत ने WTO के समक्ष एक आधिकारिक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें उसने अमेरिका से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर $725 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जवाबी शुल्क लगाने की योजना का खुलासा किया है। यह कार्रवाई अमेरिका द्वारा 25% शुल्क लगाए जाने के प्रतिरोध में है, जो उसने 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लागू किए थे।
इस प्रस्ताव के अनुसार, भारत ने यह साफ किया है कि वह अमेरिका के इस कदम को अनुचित और WTO नियमों का उल्लंघन मानता है। भारत का तर्क है कि यह शुल्क न केवल वैश्विक व्यापार सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि यह विकासशील देशों के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाता है। अमेरिका का यह तर्क कि आयातित ऑटो उद्योग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि इसका कोई वस्तुनिष्ठ आधार नहीं है।
भारत का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस समय आ रहा है जब WTO में अमेरिका के खिलाफ अन्य देश भी विरोध दर्ज करा चुके हैं, जिनमें यूरोपीय संघ, कनाडा, चीन और मेक्सिको शामिल हैं। हालांकि अमेरिका ने अब तक कई देशों के साथ समझौता कर लिया है, लेकिन भारत के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है। भारत ने उम्मीद जताई है कि WTO जल्द ही इस मुद्दे पर निर्णय लेगा और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा।
भारत की यह जवाबी योजना फिलहाल WTO की मंजूरी के अधीन है, लेकिन इससे अमेरिका और भारत के व्यापार संबंधों में तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है। भारत पहले ही इस मामले को लेकर अमेरिका से कई बार कूटनीतिक वार्ता कर चुका है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। इस प्रस्ताव से यह संकेत मिलता है कि भारत अब निर्णायक रुख अपनाने को तैयार है।
यह पूरी घटना वैश्विक व्यापार व्यवस्था में हो रहे बदलावों की ओर भी इशारा करती है, जहां देश अपने हितों की रक्षा के लिए सख्त रुख अपना रहे हैं। भारत का यह रुख विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि किस प्रकार वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। WTO में आगामी बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होने की उम्मीद है और भारत ने इस विषय पर जल्द निर्णय लेने की मांग की है।