
स्टेट डेस्क, श्रेया पांडेय |
मणिपुर एक बार फिर हिंसा की चपेट में आ गया है। राज्य के कांगपोकपी जिले में गुरुवार रात एक किसान की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया। पुलिस के अनुसार, किसान अपने खेत में काम कर रहा था, तभी अज्ञात हमलावरों ने उस पर फायरिंग कर दी। घटना के तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
सर्च अभियान के दौरान, एक अन्य गांव में तनाव बढ़ गया और सुरक्षा बलों की फायरिंग में एक महिला की भी मौत हो गई। महिला की पहचान थानऊ देवी के रूप में हुई है, जो स्थानीय स्कूल की कर्मचारी थी। इस घटना ने इलाके में भारी नाराजगी पैदा कर दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों से क्षेत्र में तनाव बना हुआ था, लेकिन प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा था। राज्य सरकार ने अब सेना और अर्धसैनिक बलों को और मजबूत किया है तथा कर्फ्यू की अवधि बढ़ा दी गई है।
मणिपुर में पिछले एक साल से कुकी और मेइती समुदायों के बीच जातीय तनाव की स्थिति बनी हुई है। कई बार संघर्ष भड़क चुके हैं, जिसमें अब तक 200 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। राज्य सरकार बार-बार शांति की अपील कर रही है, लेकिन जमीन पर हालात सुधरते नजर नहीं आ रहे।
गृह मंत्रालय ने मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, एनआईए को भी इस हमले की जांच के लिए लगाया जा सकता है।
विपक्षी पार्टियों ने घटना की कड़ी निंदा की है और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “मणिपुर जल रहा है और केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।”
स्थिति को देखते हुए शुक्रवार को सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं और इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। स्थानीय निवासियों को घरों में ही रहने की सलाह दी गई है।
यह घटना एक बार फिर से मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था की विफलता और राज्य की संवेदनशीलता को उजागर करती है। जब तक सभी समुदायों के बीच संवाद और विश्वास बहाली का प्रयास नहीं होता, मणिपुर की स्थिति सामान्य नहीं हो पाएगी।