
मोतिहारी,
जिले में बढ़ते तापमान के साथ गर्म हवाओं का प्रकोप भी बढ़ने लगा है। जिसके कारण लू लगने की संभावनाएं बढ़ जाती है।ऐसे में शरीर को सुरक्षित एवं अनुकूल करने के लिए खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में बदलाव करना जरुरी है। साथ ही नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण पर ध्यान रखना बेहद जरूरी है ये कहना है जिले के सिविल सर्जन डॉ रविभूषण श्रीवास्तव का। उन्होंने बताया की छह माह तक के शिशुओं के लिए सिर्फ स्तनपान ही लाभकारी होता है।वहीं अन्य लोगों क़ो गर्म हवाओं,लू से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी एवं मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए। गर्मी के कारण स्तनपान के साथ किसी भी प्रकार का तरल पेय पदार्थ या पानी बच्चों को नहीं देना चाहिए। गर्मी के मौसम में अधिक से अधिक बार स्तनपान कराकर गर्मी के कारण होने वाली विभिन्न समस्याओं से बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्मी के मौसम में लू से बचने के लिए पोषक तत्वों के सेवन के अलावा पर्याप्त मात्रा में पानी एवं मौसमी फलों का सेवन जरुर करना चाहिए।
पर्याप्त मात्रा में पानी एवं मौसमी फलों का सेवन करना अधिक लाभप्रद
लू के लक्षण दिखे तो चिकित्सक से तुरंत सलाह लेना चाहिए।वहीं महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल राज ने बताया की गर्मी के बढ़ने से शरीर से पसीना गिरना शुरू होता है, जिससे शरीर में पानी की मात्रा में कमी आती है। इसलिए इस मौसम में पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना फायदेमंद है। इसके साथ ही रसेदार मौसमी फलों का सेवन भी शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने में सहायक होता है। गर्मी से बचाव के लिए खाली पेट घर से बाहर नहीं निकलें।सुपाच्य एवं हल्के भोजन का सेवन करें,अत्यधिक शीतल पेय पदार्थों के सेवन करने से बचें, रात्रि में देर रात तक नहीं जागें एवं कम से कम आठ घंटे की नींद जरुर लें।दोपहर में घर से निकलने से बचना चाहिए या अधिक धूप की स्थिति में छाता का उपयोग करना चाहिए।प्राथमिक उपचार के तौर पर लू लगने पर ओआरएस का घोल पीना चाहिए ताकि डायरिया से बचा जा सके। इसके इलाज के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
- लू लगने के लक्षण-
सिर में तेज दर्द होना
उल्टी या जी मचलना
बुखार का होना
त्वचा का लाल, गर्म एवं सूखा होना, पसीना नहीं चलना
बेहोशी या चक्कर आना
घबराहट का बढ़ जाना
अत्यधिक आलस्य या सुस्ती का होना