
लोकल डेस्क, एन. के. सिंह।
मेहसी: चुनावी रंजिश, अवैध धंधे ने भड़काई थी हिंसा, एसपी-डीआईजी की सूझबूझ से टली सांप्रदायिक हिंसा।
जिले के मेहसी प्रखंड के कोठी हीरामन पंचायत के वार्ड नंबर 7 में तीन दिन पहले हुई हिंसा और हत्या, सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि चुनावी रंजिश, जातीय तनाव, शराब माफिया की अदावत थी। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि घटना के पीछे एक 'सुंदरी' के साथ रिश्ता भी प्रमुख वजह है। मोहर्रम की रात को भड़की हिंसा ने एक युवक की जान ले ली, मगर अगर प्रशासन ने तत्परता नहीं दिखाई होती तो यह मामला जिले में बड़ा सांप्रदायिक बवाल बन सकता था।
कहानी 2021 के पंचायत चुनाव से शुरू होती है, जब अजय यादव के पाटीदार राजेश राय को महज एक वोट से निजाम अहमद से हार का सामना करना पड़ा। तभी से रंजिश की चिंगारी सुलग रही थी। यह आग तब और तेज हो गई जब एक 'सुंदरी' की कथित नजदीकियों ने दोनों पक्षों के बीच टकराव को और उकसाया। बताया जाता है कि 'सुंदरी' का संबंध दूसरे समुदाय से था, और निजाम अहमद को यह रिश्ता खटक रहा था।
इन दो प्रतिद्वंद्वियों का दूसरा साझा पहलू था-शराब का अवैध कारोबार। इस गंदे धंधे में हिस्सेदारी और इलाके पर वर्चस्व को लेकर दोनों पक्षों के बीच टकराव पहले से था। मोहर्रम जैसे संवेदनशील मौके को एक पक्ष ने नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल किया। देर रात जुलूस के दौरान कनकटी गांव में दोनों पक्षों के बीच हिंसक भिड़ंत हो गई। अजय यादव को पीट-पीटकर मार डाला गया और चार अन्य लोग बुरी तरह घायल हो गए।
घटना की खबर मिलते ही एसपी स्वर्ण प्रभात खुद पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। हालात बिगड़ने से पहले ही इलाके की घेराबंदी की गई और उपद्रवियों को काबू में किया गया। दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और गांव में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई। डीआईजी हरीकिशोर राय ने घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति का जायजा लेते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि मामले की तह तक जाकर दोषियों को बेनकाब किया जाए।
डीआईजी ने ग्रामीणों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि पुलिस अपनी तफ्तीश में किसी भी साजिशकर्ता को नहीं छोड़ेगी। इस बीच गांव में मातमी सन्नाटा है और लोग 'सुंदरी', शराब और चुनावी जिद से उपजे इस खूनखराबे की दास्तान को लेकर स्तब्ध हैं।
वहीं, पिपरा के विधायक श्याम बाबू यादव भी मृतक के परिजनों से मिलने पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवार को सांत्वना दी और प्रशासन से दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की।
फिलहाल, पूरे मामले की जांच जारी है। पुलिस हर कड़ी को जोड़कर यह जानने में जुटी है कि यह हत्या महज आपसी रंजिश थी या इसके पीछे गहरी साजिश रची गई थी। एक बात साफ है-अगर प्रशासन ने वक्त रहते मोर्चा नहीं संभाला होता तो पूर्वी चंपारण की यह घटना राज्यभर के लिए एक शर्मनाक मिसाल बन सकती थी।