
लोकल डेस्क, नीतीश कुमार ।
मोतिहारी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मोतिहारी नगर में इस वर्ष विजयादशमी उत्सव सह पथ संचलन का आयोजन बड़े ही भव्य और अनुशासित ढंग से किया गया। यह कार्यक्रम राजबाजार स्थित महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में संपन्न हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में स्वयंसेवक, आगंतुक, माताएं और बहनें सम्मिलित हुईं। कार्यक्रम स्थल पर देशभक्ति, अनुशासन और उत्साह का अद्भुत वातावरण देखने को मिला।
कार्यक्रम का शुभारंभ शस्त्र-पूजन से हुआ, जिसके पश्चात ध्वजारोहण किया गया। मंच संचालन का दायित्व अभिषेक कुमार ने निभाया, जबकि नगर कार्यवाह श्री उदय नारायण ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव उपस्थित रहे, और बौद्धिक सत्र का संचालन माननीय सहकार्यवाह श्री आलोक कुमार ने किया।
मुख्य अतिथि प्रो. संजय श्रीवास्तव ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होना पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि संघ की यह सौ वर्ष की यात्रा केवल संगठन की नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की यात्रा है। संघ के स्वयंसेवकों ने कठिन परिस्थितियों में भी समाज को जोड़ने का कार्य किया है। आज संघ भारत की एकता, संस्कृति और राष्ट्र भावना का प्रतीक बन चुका है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भी संघ ने बिना किसी दिखावे के समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने का कार्य किया है। संघ ने हमेशा ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को आगे रखा और समाज में एकता, प्रेम और सहयोग बढ़ाने का प्रयास किया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें जाति-पांति से ऊपर उठकर देश के विकास की दिशा में सोचना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहकर समाज के उत्थान में योगदान देना चाहिए।
प्रो. श्रीवास्तव के संबोधन के पश्चात एकल गीत की प्रस्तुति हुई, जिसने पूरे वातावरण को ओजपूर्ण बना दिया।
इसके बाद सहकार्यवाह श्री आलोक कुमार ने अपने बौद्धिक सत्र में संघ द्वारा निर्धारित “पंच परिवर्तन” विषय पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह पंच परिवर्तन केवल विचारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इन्हें हर नागरिक को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्वदेशी भावना से देश की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और नागरिकों में अपने देश के प्रति गर्व की भावना उत्पन्न होगी।
उन्होंने कहा कि जब नागरिक अपने कर्तव्यों को समझेंगे और उनका पालन करेंगे तो देश स्वतः ही प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ेगा। पर्यावरण के महत्व पर भी बल देते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति का संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है। पेड़ लगाना, जल बचाना और प्रदूषण कम करना अब सिर्फ सलाह नहीं, बल्कि आवश्यक कदम हैं।
साथ ही उन्होंने समाज में सभी को समान दृष्टि से देखने की आवश्यकता पर बल दिया। ऊंच-नीच का भेद समाप्त करके ही सच्ची सामाजिक समरसता स्थापित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है, और यदि परिवार संस्कारित होंगे तो समाज और राष्ट्र दोनों संस्कारित बनेंगे। उन्होंने आग्रह किया कि हर परिवार सप्ताह में एक दिन पूजा या भजन के लिए एक साथ बैठे, बच्चों के साथ महापुरुषों की कहानियों पर चर्चा करे और घर में संवाद की परंपरा बनाए रखे।
आलोक कुमार ने कहा कि समाज में बड़े परिवर्तन की शुरुआत छोटे-छोटे प्रयासों से होती है। जब हम अपने व्यवहार में सुधार लाते हैं - जैसे समय का पालन करना, दूसरों की मदद करना, पर्यावरण का ध्यान रखना और परिवार के साथ जुड़ाव बनाए रखना - तो यही आदतें समाज में सकारात्मक बदलाव लाती हैं। उन्होंने कहा कि यह समय केवल चर्चा का नहीं, बल्कि कर्म का है। पंच परिवर्तन के ये सिद्धांत हर भारतीय के जीवन में अपनाए जाने चाहिए, क्योंकि यही भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम होंगे।
कार्यक्रम के अंत में पथ संचलन निकाला गया, जो महात्मा गांधी प्रेक्षागृह, राजबाजार से प्रारंभ होकर कचहरी और बलुआ मार्ग होते हुए चांदमारी तक पहुंचा और पुनः प्रेक्षागृह पर संपन्न हुआ। इस पथ संचलन में 842 गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया। नगर के विभिन्न स्थानों पर नगरवासियों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया।
पूरे कार्यक्रम में अनुशासन, एकता और देशभक्ति की भावना स्पष्ट रूप से झलक रही थी। सड़कों पर “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारे गूंज रहे थे।