मोतिहारी: साइबर पुलिस की स्ट्राइक, 10 लाख, राइफल, पिस्टल और 25 जिंदा कारतूस के साथ 3 गिरफ्तार

मोतिहारी: साइबर पुलिस की स्ट्राइक, 10 लाख, राइफल, पिस्टल और 25 जिंदा कारतूस के साथ 3 गिरफ्तार
छापेमारी में 10 लाख से अधिक नकद, बैंक दस्तावेज और अवैध हथियार बरामद, जांच में एसएसबी हवलदार सहित कई नए नाम सामने आए।
मोतिहारी की साइबर पुलिस ने अपराधियों पर एक बड़ी स्ट्राइक करते हुए साइबर अपराध के एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके ठिकानों से 10 लाख रुपये से अधिक नकद, भारी मात्रा में महत्वपूर्ण दस्तावेज, अवैध हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया है। इस मामले की जांच में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) बटालियन के एक हवलदार का नाम भी सामने आया है, जो इस गिरोह से जुड़ा हो सकता है।
साइबर डीएसपी अभिनव परासर, ने इस महत्वपूर्ण सफलता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मोतिहारी साइबर थाना में 15 जून को कांड संख्या 92/25 के तहत आईटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया था। पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात के निर्देश और मार्गदर्शन में, साइबर थाना लगातार तकनीकी अनुसंधान और मैनुअल इनपुट के आधार पर इस मामले पर काम कर रहा था। इसी निरंतर प्रयास के परिणामस्वरूप, साइबर पुलिस को यह बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। पुलिस टीम ने मोहम्मद जावेद, दयाशंकर, और अविनेश कुमार नामक तीन व्यक्तियों के विभिन्न ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान अविनेश के "ऑल इन वन साइबर कैफे", दयाशंकर की दुकान और उनके आवास, और मोहम्मद जावेद की दुकान को निशाना बनाया गया।
छापेमारी के दौरान पुलिस को भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री मिली है। इसमें एक नोट काउंटिंग मशीन, एक लैपटॉप, दो टीवीआर मशीन, 14 बैंक चेक बुक, 11 बैंक चेक, 6 पासबुक, 10 एटीएम कार्ड, दो वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र, और दो छोटी पॉकेट डायरियाँ शामिल हैं जिनमें विभिन्न वित्तीय लेनदेन का विस्तृत विवरण दर्ज है। इसके अतिरिक्त, एक ड्राइविंग लाइसेंस और एक पैन कार्ड भी बरामद हुआ है। इन सभी ठिकानों से कुल 10 लाख 30 हज़ार 250 रुपये नकद जब्त किए गए हैं। नकद और दस्तावेजों के अलावा, पुलिस ने हथियारों का जखीरा भी बरामद किया है। इसमें एक राइफल और एक पिस्टल शामिल है, जिसे एसएसबी बटालियन के हवलदार पंकज पांडेय के घर से जब्त किया गया था। साथ ही, पिस्तौल के 16 जिंदा कारतूस, राइफल के 5 कारतूस, पिस्तौल की दो मैगज़ीन, और राइफल की एक मैगज़ीन भी मिली हैं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में तीन मोबाइल फोन और तीन सीपीयू मशीनें भी बरामद हुई हैं। बरामद हथियारों का सत्यापन संबंधित कार्यालयों से किया जा रहा है ताकि उनकी वैधता और स्रोत का पता लगाया जा सके।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों से गहन पूछताछ के दौरान, पुलिस के सामने इस गिरोह से जुड़े कई नए नाम सामने आए हैं। साइबर पुलिस ने बताया कि जैसे-जैसे कांड संख्या 93/25 में नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो रही है, वैसे-वैसे ये नाम एक-दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं, जो इस गिरोह के बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करता है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि एसएसबी बटालियन के हवलदार पंकज पांडेय खुद दयाशंकर पांडेय से यूएसडी कैश देकर हथियार खरीदते थे। दयाशंकर, जो इस मामले के नामजद अभियुक्तों में से एक है, पुरुषोत्तम चौधरी का रिश्तेदार है। पुरुषोत्तम चौधरी फिलहाल अपने घर से फरार चल रहा है, और पुलिस उसे पकड़ने के लिए विभिन्न स्थानों पर लगातार छापेमारी कर रही है। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि आगे की जांच में जिनका भी नाम सामने आएगा, उनका सत्यापन कर कानूनी तौर पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले की जड़ें और भी गहरी हैं, जिसका खुलासा पूर्व में हुई एक गिरफ्तारी से हुआ है। इस संबंध में सुरेंद्र प्रसाद नामक एक व्यक्ति को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था। उनके बयान और बैंक से प्राप्त स्टेटमेंट तथा अन्य दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ था कि सुरेंद्र प्रसाद की "पंकज इंटरप्राइजेज" नाम की एक फर्म थी। इस गिरोह का एक गुप्त कोड नाम "बॉस" था, जिसके लिए 8055 नामक मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया जाता था। यह नंबर पंकज पांडेय द्वारा बैंक में जाकर सुरेंद्र प्रसाद के अकाउंट से जुड़वाया गया था। हैरानी की बात यह है कि जब छापेमारी चल रही थी, तो आरोपियों ने ब्रांच मैनेजर से संपर्क कर उस नंबर को बदलने के लिए कहा था, और अगले ही दिन सुरेंद्र प्रसाद को बैंक भेजकर वह नंबर बदलवा दिया गया था। जांच में सामने आया है कि इस एक खाते से मात्र 14-15 दिनों के भीतर लगभग 17 लाख से 19 लाख रुपये का बड़ा लेनदेन किया गया था। पुलिस अब इस बात की गहन जांच कर रही है कि ऐसे और कितने खाते हैं जिनमें इस प्रकार के संदिग्ध लेनदेन किए गए हैं और इस बड़े साइबर अपराध नेटवर्क के पीछे कौन-कौन शामिल है।