
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
लालू प्रसाद यादव फिर होंगे राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष, आज भरेंगे नामांकन, 28 वर्षों से पार्टी की कमान संभाल रहे हैं लालू, 5 जुलाई को होगा औपचारिक ऐलान
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक और वरिष्ठ नेता लालू प्रसाद यादव एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। सोमवार, 23 जून को वे राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, लालू प्रसाद यादव का फिर से अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। ऐसे में यह भी स्पष्ट हो गया है कि इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं होगा।
राजद के राष्ट्रीय सहायक निर्वाचन पदाधिकारी चित्तरंजन गगन ने इस बाबत जानकारी देते हुए बताया कि संगठनात्मक सत्र 2025-2028 के लिए पार्टी में निर्वाचन की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। नामांकन दाखिल करने से पहले की सभी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं।
नामांकन प्रक्रिया के तहत 23 जून को पटना स्थित राजद के केंद्रीय कैम्प कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. रामचंद्र पूर्वे की मौजूदगी में सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक नामांकन पत्र जमा किया जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद 5 जुलाई को पार्टी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में स्पष्ट किया कि पार्टी में सभी कार्यकर्ता और नेता चाहते हैं कि लालू प्रसाद यादव ही फिर से अध्यक्ष बनें। उन्होंने कहा, “लालू जी की तबीयत कभी-कभी नासाज रहती है, लेकिन वे पार्टी की रीढ़ हैं। उनके बिना पार्टी कोई बड़ा निर्णय नहीं लेती।”
बता दें कि राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना 1997 में जनता दल से अलग होकर लालू प्रसाद यादव ने की थी। तब से लेकर आज तक वे लगातार पार्टी के अध्यक्ष बने हुए हैं। यानी लगभग 28 वर्षों से लालू प्रसाद यादव ही राजद की कमान संभाल रहे हैं। यह उनके नेतृत्व की स्वीकार्यता और प्रभाव को दर्शाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू प्रसाद यादव का दोबारा अध्यक्ष बनना पार्टी के लिए चुनावी साल में एकजुटता और पहचान को बनाए रखने का कदम है। पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेता भी मानते हैं कि लालू ही वह चेहरा हैं जो कार्यकर्ताओं को जोड़ सकते हैं और चुनाव में राजद को मजबूती दे सकते हैं।
हालांकि पार्टी में तेजस्वी यादव की भूमिका भी तेजी से बढ़ी है और वे विपक्ष के नेता के रूप में राज्य में सक्रिय हैं, लेकिन संगठनात्मक रूप से पार्टी की बागडोर अब भी लालू के हाथ में है। यह संतुलन पार्टी के भीतर वरिष्ठता और नई पीढ़ी के नेतृत्व के बीच सामंजस्य का संकेत देता है।
लालू यादव के अध्यक्ष बनने की संभावना से बिहार की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। विशेष रूप से तब, जब राज्य में चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं और सभी प्रमुख दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। राजद में नेतृत्व की स्पष्टता पार्टी को संदेश देने में मदद करेगी कि वह चुनावी मैदान में संगठित और एकजुट है।
लालू प्रसाद यादव का पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना केवल एक औपचारिक प्रक्रिया रह गई है। उनके अनुभव और करिश्मे को देखते हुए पार्टी और कार्यकर्ताओं की पहली पसंद वे ही हैं। 5 जुलाई को जब उनके नाम की घोषणा होगी, तब यह उनकी 11वीं या 12वीं बार की ताजपोशी हो सकती है – जो अपने आप में एक ऐतिहासिक मिसाल होगी। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले इस तरह की स्थिरता राजद के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।