
नेशनलडेस्क, श्रेया पांडेय |
"लोकसभा ने पारित किया नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, खेल प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का दावा"
लोकसभा ने हाल ही में नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल पारित किया है, जिसे विशेषज्ञों और खेल प्रशासकों द्वारा भारतीय खेल प्रशासन में स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य खेल संस्थाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुदृढ़ नियामक नियंत्रण सुनिश्चित करना है, ताकि खिलाड़ियों को बेहतर अवसर, प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराए जा सकें और खेल प्रशासन में मौजूद अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सके। लंबे समय से देश में खेल संगठनों के संचालन को लेकर पारदर्शिता की कमी, राजनीतिक हस्तक्षेप, भ्रष्टाचार और खिलाड़ियों के हितों की अनदेखी जैसी समस्याएँ उठती रही हैं। बिल में इन मुद्दों को गंभीरता से संबोधित करते हुए ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिनसे खेल संघों की कार्यशैली में सुधार आएगा और उनकी जवाबदेही जनता व खिलाड़ियों के प्रति सुनिश्चित होगी।
इस बिल के तहत खेल संस्थाओं की संरचना, चुनाव प्रक्रिया, वित्तीय पारदर्शिता, और खिलाड़ियों के अधिकारों से जुड़े स्पष्ट मानक तय किए गए हैं। सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs) और भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को अपनी गतिविधियों का नियमित ऑडिट कराना होगा और उसके परिणाम सार्वजनिक करने होंगे। इससे न केवल वित्तीय अनियमितताओं पर रोक लगेगी, बल्कि धन के उपयोग में पारदर्शिता बढ़ेगी। बिल में यह भी प्रावधान है कि खेल संस्थाओं के प्रमुख पदों पर एक ही व्यक्ति लंबे समय तक न बने रहें, जिससे नेतृत्व में बदलाव और नई सोच के अवसर पैदा होंगे। यह कदम खेल प्रशासन में "वंशवाद" और "स्थायी सत्ता" की प्रवृत्ति को रोकने में सहायक होगा।
इसके अलावा, बिल खिलाड़ियों के अधिकारों को मजबूत बनाने पर विशेष जोर देता है। इसमें कहा गया है कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष, पारदर्शी और योग्यता आधारित होनी चाहिए। किसी भी खिलाड़ी को व्यक्तिगत मतभेद या राजनीति के आधार पर टीम से बाहर नहीं किया जा सकेगा। खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, कोचिंग सुविधाओं, पोषण, और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। बिल यह सुनिश्चित करता है कि खेल संगठनों में खिलाड़ियों की आवाज सुनी जाए और उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के साथ किया जाए।
सरकार का कहना है कि इस कानून से खेल प्रशासन का ढांचा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनेगा, जिससे भारत वैश्विक खेल मंच पर और मजबूत स्थिति हासिल कर सकेगा। खेल मंत्रालय का मानना है कि आने वाले वर्षों में इस सुधार से न केवल खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार होगा, बल्कि भारत में खेलों के प्रति युवाओं की रुचि भी बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारतीय खेल जगत के लिए वैसा ही साबित हो सकता है, जैसा 1983 में क्रिकेट विश्व कप जीतने के बाद खेल संस्कृति में आया था, यानी एक नया मोड़।
हालाँकि, कुछ आलोचकों ने चेतावनी दी है कि कानून बनाना पर्याप्त नहीं है; इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक क्षमता और स्वतंत्र नियामक संस्थाओं की आवश्यकता होगी। उनका तर्क है कि यदि निगरानी तंत्र कमजोर रहा तो यह कानून भी अन्य सुधार प्रयासों की तरह कागज़ पर ही सीमित रह जाएगा। इसके बावजूद, अधिकांश खेल प्रेमियों, खिलाड़ियों और विशेषज्ञों ने इस बिल का स्वागत किया है और इसे भारत में खेलों के सुनहरे भविष्य की दिशा में उठाया गया एक साहसिक कदम बताया है।