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वंदे भारत एक्सप्रेस से चंपारण के विकास की हुंकार: राधा मोहन सिंह ने दिखाई हरी झंडी

स्टेट डेस्क, एन.के. सिंह |

"आएं मिलकर करें विकास हमारी प्रतिबद्धता अब चंपारण का विकास है, हमारा विकास बहुत हुआ।" इन शब्दों के साथ पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और स्थानीय सांसद राधा मोहन सिंह ने शुक्रवार को बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन पर सिवान से पाटलिपुत्र-गोरखपुर वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "विकसित बिहार - विकसित भारत" पहल के तहत यह शुभारंभ हुआ, जिसमें सिंह ने भारतीय रेलवे के महत्व और भाजपा सरकार के तहत हुए अभूतपूर्व परिवर्तनों पर जोर दिया।
भारतीय रेल: राष्ट्र की बदलती जीवनरेखा और आधुनिक भारत की पहचान
राधा मोहन सिंह ने कहा कि रेलवे केवल परिवहन का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्र की जीवनरेखा है जो लोगों, शहरों और उनकी आकांक्षाओं को जोड़ती है। उन्होंने 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय रेल में हुए आधुनिकीकरण, सुरक्षा, स्थिरता और सेवा उत्कृष्टता पर प्रकाश डाला। मोतिहारी स्टेशन के विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने भावुक होकर कहा, "कभी मोतिहारी स्टेशन पर सात कुर्सियां बैठने के लिए होती थीं, आज 700 कुर्सी हैं।"
उन्होंने वंदे भारत एक्सप्रेस को भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता का प्रतीक बताया। यह भारत की पहली स्वदेशी अर्ध-तेज गति वाली ट्रेन है, जिसने तेज और आरामदायक यात्रा को संभव बनाया है। भविष्य के लिए 400 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जा रहा है, और वर्तमान में 200 ट्रेन सेवाएं, 100 अमृत भारत ट्रेनें और 50 नमो भारत रैपिडरेल यात्रियों की सेवा में हैं।
रेलवे में रिकॉर्ड निवेश: बिहार को मिली प्राथमिकता
सिंह ने बताया कि 2014 के बाद से रेलवे के आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए रिकॉर्ड-उच्च धनराशि आवंटित की गई है, हाल के बजटों में यह ₹2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि 2014 की तुलना में रेल बजट नौ गुना ज्यादा है।
बिहार के संदर्भ में, उन्होंने तुलनात्मक आंकड़े प्रस्तुत किए:

  • 2004-14 में यूपीए सरकार ने बिहार को औसतन केवल ₹1,132 करोड़ दिए थे, जबकि भाजपा सरकार ने ₹10,066 करोड़ आवंटित किए हैं, जो 9 गुना अधिक है।
  • 2014 से पहले के पांच वर्षों में बिहार में केवल लगभग 325 किलोमीटर नई रेल लाइनों का निर्माण हुआ था, जबकि वर्ष 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1,728 किलोमीटर हो गया है, जो चार गुना वृद्धि को दर्शाता है।
  • 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद, इसी अवधि में बिहार में ब्रॉड गेज नेटवर्क का 100% विद्युतीकरण भी पूर्ण किया गया है।

बिहार में प्रगति पर प्रमुख परियोजनाएं और अमृत स्टेशन पहल
वर्तमान में, बिहार में ₹86,458 करोड़ की लागत से 58 से अधिक नई रेल परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं। 98 रेलवे स्टेशनों को अमृत स्टेशनों के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू किया गया है, जिनमें से 85 स्टेशनों पर कार्य जारी है। इनमें गया, मुजफ्फरपुर, बापूधाम मोतिहारी, सीतामढ़ी और दरभंगा जैसे महत्वपूर्ण स्टेशन शामिल हैं, जिनका पुनर्विकास ₹1,555 करोड़ की लागत से कराया जा रहा है।
रेल सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, 1,783 किमी रेल मार्गों पर कवच एंटी-कोलिजन डिवाइस लगाने का काम शुरू किया गया है। आज, 12 वंदे भारत ट्रेनें बिहार में चल रही हैं, जो 15 जिलों को जोड़ती हैं और 22 विशिष्ट स्टॉपेज देती हैं, जिससे राज्य में कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी सुधार हुआ है।
बुनियादी ढांचे का विकास और अनोखा अनुभव
सिंह ने 62 किलोमीटर लंबी बापूधाम मोतिहारी से पिपराहाँ रेलखंड के दोहरीकरण तथा नरकटिया गंज-गौनाहा खंड के गेज परिवर्तन कार्य का भी उल्लेख किया। साथ ही, 96 किलोमीटर लंबी गोरखपुर कैंट - वाल्मीकि नगर रेललाइन के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण हेतु शिलान्यास भी किया गया है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर, सौ बच्चों को वंदे भारत ट्रेन में यात्रा का अनुभव लेने के लिए टिकट दिए गए, जिन्होंने बापूधाम मोतिहारी से बगहा तक की यात्रा की। सांसद श्री सिंह ने भी अपनी तरफ से 20 यात्रियों को यात्रा टिकट उपलब्ध करवाए।
इस कार्यक्रम में मोतिहारी विधायक प्रमोद कुमार, बिहार राज्य मछुआ आयोग के अध्यक्ष ललन सहनी, अपर रेल प्रबंधक आलोक कुमार सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन बापूधाम रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर दिलीप सिंह ने किया।