
नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी की नेतृत्व व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि पार्टी की शीर्ष नेतृत्व से उनके मतभेद हैं और इसमें अब छिपाने जैसा कुछ नहीं बचा है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि वे कांग्रेस के मूल्यों और कार्यकर्ताओं के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और पार्टी के लिए उनका समर्पण अब भी बरकरार है।
शशि थरूर ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "जैसा कि सभी जानते हैं, मेरे वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व के साथ कुछ मतभेद हैं। इनमें से कुछ बातें सार्वजनिक डोमेन में भी आ चुकी हैं। मैं मानता हूं कि मतभेद होना राजनीति का हिस्सा है, लेकिन इन्हें सुलझाने का सही तरीका बंद दरवाजों के पीछे आपस में बातचीत करना है।"
थरूर ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने हाल में हुए नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया क्योंकि पार्टी की ओर से उन्हें आमंत्रित ही नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "मैं किसी नाराजगी के कारण प्रचार से दूर नहीं रहा, बल्कि मुझे बुलाया ही नहीं गया। अगर पार्टी बुलाती, तो मैं जरूर जाता।"
उन्होंने यह भी कहा कि नीलांबुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ईमानदारी और मेहनत से काम किया है। "हमारे पास एक बेहतरीन उम्मीदवार है और मैं चाहता हूं कि उनकी मेहनत का अच्छा परिणाम देखने को मिले," थरूर ने कहा।
'16 साल की निष्ठा को नहीं भुलाया जा सकता'
अपने राजनीतिक सफर का जिक्र करते हुए थरूर ने कहा कि वे बीते 16 वर्षों से कांग्रेस के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं। "मैंने हमेशा पार्टी के हित को प्राथमिकता दी है। अगर कुछ मतभेद हैं भी, तो उसे बातचीत से हल किया जा सकता है। किसी भी पार्टी में पूर्ण सहमति संभव नहीं होती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि निष्ठा या प्रतिबद्धता में कमी आई है," उन्होंने जोड़ा।
थरूर ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहते कि इस मुद्दे को मीडिया के माध्यम से उछाला जाए या राजनीतिक हथियार बनाया जाए। उनका मानना है कि पार्टी के अंदर ही संवाद के माध्यम से किसी भी प्रकार की असहमति को हल करना ज्यादा जिम्मेदाराना तरीका है।
हालांकि थरूर ने साफ तौर पर यह नहीं बताया कि उनके और पार्टी नेतृत्व के बीच मतभेद का कारण क्या है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मतभेद लंबे समय से चल रहे हैं। विशेष रूप से जब से उन्होंने 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में हिस्सा लिया था और गांधी परिवार से इतर एक विकल्प बनने की कोशिश की थी, तब से उन्हें पार्टी में हाशिये पर धकेले जाने की कोशिशें हुई हैं।
इसके बाद कई मौकों पर थरूर ने पार्टी की रणनीतियों और निर्णयों पर सवाल उठाए हैं, जिससे यह संकेत मिलते रहे हैं कि पार्टी नेतृत्व और उनके बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।
शशि थरूर का यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस पार्टी लगातार अंदरूनी असंतोष से जूझ रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद पार्टी के अंदर असंतोष और आत्ममंथन की मांग तेज हुई है। कई वरिष्ठ नेताओं ने सार्वजनिक रूप से पार्टी की दिशा और नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं।
थरूर के ताज़ा बयान को भी इसी असंतोष की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। इससे यह साफ है कि कांग्रेस को अपने भीतर संवाद की प्रक्रिया को मजबूत करना होगा, ताकि ऐसे मतभेद सार्वजनिक न होकर संगठन के अंदर ही सुलझाए जा सकें।
शशि थरूर ने अपने बयानों से एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि वे कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं, लेकिन नेतृत्व के साथ उनके दृष्टिकोण में अंतर है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी के लिए उनका समर्पण और निष्ठा अब भी पहले की तरह अडिग है। लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी को अपने नेताओं को साथ लेकर चलना है, तो संवाद और पारदर्शिता को प्राथमिकता देनी होगी। तभी ऐसे वरिष्ठ नेताओं की शिकायतें और असहमति संगठन की मजबूती में तब्दील हो सकती हैं।