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शशि थरूर के राजनीतिक भविष्य पर सस्पेंस, CONGRESS को कहेंगे अलविदा ?

नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |

देश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मची हुई है, और इस बार केंद्र में हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद डॉ. शशि थरूर। जाने-माने लेखक, पूर्व राजनयिक और कांग्रेस पार्टी के मुखर चेहरों में से एक थरूर के राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, 23 जून 2025 को होने वाले केरल विधानसभा उपचुनावों के नतीजों के बाद वे एक बड़ा राजनीतिक फैसला ले सकते हैं। यह फैसला न केवल उनके करियर बल्कि कांग्रेस पार्टी की दक्षिण भारत में पकड़ पर भी असर डाल सकता है।

थरूर पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस नेतृत्व से दूरी बनाते दिखाई दे रहे हैं। पार्टी के शीर्ष नेताओं, विशेषकर राहुल गांधी से उनके संबंधों में तनाव की खबरें लगातार आ रही हैं। थरूर को कई बार सार्वजनिक मंचों पर पार्टी की रणनीति और नेतृत्व शैली पर सवाल उठाते हुए देखा गया है। उन्होंने कांग्रेस के अंदर लोकतांत्रिक सुधारों और नेतृत्व में पारदर्शिता की जरूरत पर जोर दिया है, जो पार्टी के परंपरागत ढांचे के खिलाफ माना जाता है।

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि शशि थरूर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकते हैं। हालांकि विचारधारा और राजनीतिक दृष्टिकोण की दृष्टि से थरूर और भाजपा के बीच भारी अंतर है, लेकिन भाजपा नेतृत्व की ओर से दक्षिण भारत में प्रभावशाली चेहरों की तलाश के चलते यह संभावना पूरी तरह खारिज नहीं की जा सकती। इसके अलावा यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि थरूर किसी नए राजनीतिक मंच का हिस्सा बन सकते हैं, या स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं।

थरूर की लोकप्रियता, खासकर शहरी और शिक्षित मतदाताओं के बीच, उन्हें एक प्रभावशाली स्वतंत्र नेता बनने का अवसर देती है। उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान, अंग्रेज़ी में गहरी पकड़ और विचारशील व्यक्तित्व उन्हें राजनीति से इतर भी एक विशिष्ट छवि प्रदान करता है, जिसे वे भुनाना चाहें तो अपनी अलग राजनीतिक राह बना सकते हैं।

हालांकि शशि थरूर ने अब तक इस मुद्दे पर कोई औपचारिक या सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन मीडिया में उनके सहयोगियों और नज़दीकी सूत्रों के हवाले से यह स्पष्ट हो रहा है कि कोई न कोई अहम निर्णय लिया जाना तय है। 23 जून को होने वाले उपचुनावों के परिणाम इस फैसले को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर यदि कांग्रेस का प्रदर्शन केरल में कमजोर रहता है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि थरूर के निर्णय का कांग्रेस पार्टी पर दूरगामी असर हो सकता है। खासकर केरल जैसे राज्य में, जहां कांग्रेस अभी भी एक मजबूत ताकत मानी जाती है, वहां थरूर का अलग होना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।