Ad Image
Ad Image
दिल्ली पुलिस ने साइबर अपराधियों के लिए चलाया साईं हॉक अभियान, 48 घंटे में 800 गिरफ्तार || झारखंड की मंत्री दीपिका पाण्डेय का EC पर हमला, SIR के कारण हारा महागठबंधन || पूर्वी चंपारण के रक्सौल में VIP पार्टी के अनुमंडल प्रमुख की गोली मार हत्या || राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन से शांति समझौते के प्रस्ताव को जल्दी स्वीकार करने का आग्रह किया || ईरान पर अमेरिका की सख्ती, आज नए प्रतिबंधों का किया ऐलान || BJP को 90 पर लीड, JDU को 80 पर लीड, महागठबंधन फेल || नीतीश कुमार CM हैं और आगे भी रहेंगे: जेडीयू की प्रतिक्रिया || NDA को शानदार बढ़त, 198 पर लीड जबकि महागठबंधन को 45 पर लीड || तुर्की : सैन्य विमान दुर्घटना में मृत सभी 20 सैनिकों के शव बरामद || RJD के एम एल सी सुनील सिंह का भड़काऊ बयान, DGP के आदेश पर FIR

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

श्रम संहिता बदलाव से 10 स्टॉक्स पर आज बाजार की नजर

बिजनेस डेस्क, मुस्कान कुमारी |

नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा लागू की गई चार नई श्रम संहिताओं ने न केवल कामकाजी माहौल को मजबूत करने का वादा किया है, बल्कि शेयर बाजार में भी हलचल पैदा कर दी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सोमवार को खुलते ही एशियन पेंट्स, हीरो मोटोकॉर्प, बजाज ऑटो, लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी), सिप्ला, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, ऑरोबिंडो फार्मा, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे 10 प्रमुख स्टॉक्स पर निवेशकों की नजर टिक जाएगी। ये संहिताएं रसायन, पेंट, तेल, ऑटोमोबाइल, सहायक उद्योगों और फार्मास्यूटिकल्स जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों को सीधे प्रभावित करेंगी, जिससे उत्पादकता बढ़ाने और लागत प्रबंधन में नई उम्मीदें जगी हैं।

विनिर्माण क्षेत्र पर सीधी नजर, उत्पादकता में उछाल की संभावना

श्रम-गहन क्षेत्रों में बदलाव की लहर तेज हो गई है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ये संहिताएं कर्मचारियों के लिए बेहतर कामकाजी माहौल और नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी, जो सीधे कंपनी की लंबी अवधि की वित्तीय सेहत को मजबूत बनाएंगी। बसव कैपिटल के सह-संस्थापक संदीप पांडे ने कहा, "चार नई श्रम संहिताओं का भारतीय शेयर बाजार पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। यह विनिर्माण क्षेत्र को सीधे छुएगा, जहां रसायन-पेंट, फार्मा, तेल, ऑटो और ऑटो सहायक कंपनियों के स्टॉक्स में सोमवार को प्रतिक्रिया दिखेगी।"

इस बदलाव से इनपुट लागत में मामूली वृद्धि तो हो सकती है, लेकिन कर्मचारियों की बेहतर प्रदर्शन क्षमता उत्पादन मात्रा को बढ़ाकर इसे संतुलित कर देगी। एसईबीआई-पंजीकृत फंडामेंटल इक्विटी विश्लेषक अविनाश गोरखश्कर ने जोर देकर कहा, "ये संहिताएं कामकाजी माहौल को मजबूत बनाने और नौकरी की सुरक्षा बढ़ाने पर केंद्रित हैं। इससे कर्मचारियों का प्रदर्शन सुधरेगा, जो कंपनियों के बैलेंस शीट को लंबे समय में मजबूत करेगा।" उनके अनुसार, लागत बढ़ोतरी चिंताजनक स्तर तक नहीं पहुंचेगी, बल्कि उत्पादन में तेजी इसे काउंटर कर देगी।

सोमवार की बाजार रणनीति: डिप को लॉन्ग-टर्म खरीदारी का मौका मानें

बाजार के जानकारों ने साफ शब्दों में निवेशकों को सलाह दी है कि इन 10 स्टॉक्स में कोई भी गिरावट लंबी अवधि के लिए खरीदारी का सुनहरा अवसर साबित हो सकती है। संदीप पांडे ने स्टॉक्स की सूची साझा करते हुए बताया, "रसायन-पेंट क्षेत्र से एशियन पेंट्स, ऑटोमोबाइल से हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो, इंफ्रास्ट्रक्चर से एलएंडटी, फार्मा से सिप्ला, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज और ऑरोबिंडो फार्मा, धातु क्षेत्र से टाटा स्टील व जेएसडब्यू स्टील, तथा तेल-पेट्रोकेमिकल से रिलायंस इंडस्ट्रीज। बाजार खुलते ही इनमें तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी।"

अविनाश गोरखश्कर ने भी इस पर सहमति जताई और कहा कि ये बदलाव कंपनियों के लिए सकारात्मक साबित होंगे। विशेषज्ञों का आकलन है कि वीकेंड गैप के बाद सोमवार को बाजार में सतर्क उत्साह का माहौल रहेगा, जहां ये स्टॉक्स निवेशकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेंगे।

पुरानी बनाम नई श्रम कानून: क्या बदला, क्या नया?

भारत का श्रम ढांचा अब पूरी तरह नया रूप ले चुका है। चार नई संहिताएं—वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थिति संहिता 2020—21 नवंबर 2025 से प्रभावी हो चुकी हैं। ये पुराने नियमों से एक बड़ा बदलाव लाती हैं, जो कर्मचारियों की सुरक्षा बढ़ाती हैं और रोजगार प्रथाओं को आधुनिक बनाती हैं।

संघ सरकार ने इन्हें "ऐतिहासिक" कदम करार दिया है। इन संहिताओं से 29 पुराने श्रम कानूनों को एकीकृत किया गया है, जिससे अनुपालन सरल हो गया है। अब डिजिटल अर्थव्यवस्था और गिग इकॉनमी जैसे नए क्षेत्रों के लिए प्रावधान हैं, जो पहले गायब थे। सरकार के अनुसार, ये बदलाव औद्योगिक जगत को मजबूत बनाएंगे और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में कामगारों को उत्पादक व सुरक्षित बनाएंगे।

क्यों जरूरी थी नई श्रम संहिता?

भारत के कई श्रम कानून 1930 से 1950 के दशक के हैं—स्वतंत्रता पूर्व और शुरुआती स्वतंत्रता काल के। तब डिजिटल या गिग इकॉनमी का कोई जिक्र नहीं था। दशकों से ये टुकड़ों-टुकड़ों का ढांचा चला आ रहा था, जिसमें ओवरलैपिंग नियम, पुरानी प्रक्रियाएं और असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सीमित सुरक्षा थी।

सरकार का कहना है कि चार श्रम संहिताएं इस जटिल जाल को एकसमान, आधुनिक कानूनी ढांचे से बदल देंगी। इससे कामगार 'सुरक्षित, उत्पादक और बदलते कार्य世界 के अनुरूप' होंगे, जो राष्ट्र को अधिक लचीला, प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बनाएगा। ये बदलाव न केवल वेतन, सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षा मानकों को मजबूत करेंगे, बल्कि अनुपालन को आसान बनाकर उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाएंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार, ये संहिताएं लंबे समय में कंपनियों की उत्पादकता को 10-15 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं, खासकर विनिर्माण क्षेत्र में। हालांकि, शुरुआती दौर में अनुकूलन की चुनौतियां रहेंगी, लेकिन कुल मिलाकर बाजार में सकारात्मक माहौल बनेगा। निवेशक इन बदलावों को आर्थिक विकास की नई गति के रूप में देख रहे हैं।

बाजार पर व्यापक प्रभाव: क्षेत्रवार नजरिया

रसायन और पेंट क्षेत्र में एशियन पेंट्स जैसी कंपनियां लागत नियंत्रण के साथ उत्पादन बढ़ाने पर फोकस करेंगी। ऑटो सेक्टर में हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो को श्रमिकों की बेहतर भागीदारी से फायदा होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर की दिग्गज एलएंडटी प्रोजेक्ट्स की गति पकड़ सकती है। फार्मा में सिप्ला, डॉ. रेड्डीज और ऑरोबिंडो को रिसर्च और उत्पादन में मजबूती मिलेगी। धातु क्षेत्र के टाटा स्टील व जेएसडब्यू स्टील को वैश्विक मांग के साथ घरेलू श्रम सुधार से दोहरा लाभ होगा। रिलायंस जैसी तेल-रिफाइनरी कंपनी पेट्रोकेमिकल चेन को मजबूत करेगी।

ये सभी स्टॉक्स निफ्टी 50 का हिस्सा हैं, इसलिए बाजार की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अहम रहेगी। सोमवार को सेंसेक्स और निफ्टी में शुरुआती उतार-चढ़ाव संभव है, लेकिन लंबी दृष्टि से ये बदलाव निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।