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संघर्ष की मिसाल: किसान की बेटी से IAS तक का सफर

नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

सब हारा जब चुप हो जाता है, जीत वहीं से शुरू होती है; हरियाणा के निम्बी गांव की दिव्या तंवर के जीवन में यह कथन सच साबित हुआ। दिव्या तंवर ने महज़ 21 साल की उम्र में UPSC क्लियर कर IPS बनीं और अगले ही साल IAS का पद हासिल किया। उनके इस सफर की नींव थी एक मां की तपस्या और एक बेटी का अनडरिवेन जुनून।

पिता का खोना, सपनों के झुकने का नहीं

साल 2011 में जब दिव्या के पिता का निधन हुआ, वह परिवार के लिए बड़ा झटका था। मां बाबिता तंवर ने दिन में खेतों में श्रमिक और रात में सिलाई का काम किया, ताकि बच्चों की पढ़ाई चल सके। उनके मेहनती हाथ और थकी आंखें बस एक ही सपना देखती थीं – बेटी कामयाब हो।

कोचिंग नहीं, ऑनलाइन संसाधनों ने बनाई राह
  
सरकारी स्कूल में शुरुआती पढ़ाई के बाद दिव्या नवोदय विद्यालय पहुंची। कोचिंग सेंटरों की मोटी फीस उनके बस की बात नहीं थी, इसलिये उन्होंने फ्री ऑनलाइन कंटेंट और मॉक टेस्ट्स के ज़रिए तैयारी शुरू की। खुद के भरोसे पढ़ना ही उनके लिए सबसे बड़ी ताकत बन गई।

पहली कोशिश: IPS का ख्वाब  

2021 में पहली बार UPSC दी और 438वीं रैंक के साथ IPS का गुलाबी यूनिफार्म हासिल किया। इस समय उनकी उम्र थी बस 21 साल। पर दिव्या यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने फिर तैयारी की, स्कोर 930 से बढ़ाकर 994 किया और 2022 में 105वीं रैंक लेकर IAS बन गईं।

संघर्ष की गहराई से उगता जीत का सूरज 
 
दिव्या की उपलब्धि सिर्फ परीक्षा की सफलता नहीं है, बल्कि यह एक मां के विश्वास और बेटी के जज्बे की मिसाल है। यह कहानी साबित करती है – गरीबी सपनों की राह में दीवार नहीं है। कठिन हालात में किसी मां के त्याग और बिना कोचिंग के, ऑनलाइन ज्ञान और लड़ाकू जज्बे से बड़ी जीत मिल सकती है।

प्रेरक सीख: ग्रामीण बेटियों के लिए नई राह  

दिव्या तंवर आज मणिपुर कैडर में IAS के पद पर सेवा दे रही हैं। उनकी कहानी हजारों लड़कियों को हुनर और हिम्मत से बड़े सपने देखने की प्रेरणा देती है। खासकर ग्रामीण भारत की बेटियों के लिए यह मिसाल है कि आत्मविश्वास और मेहनत से कोई सपना दूर नहीं।

मां-बेटी की साझी जंग
  
बाबिता तंवर ने घर चलाने के साथ-साथ अपनी बेटी के सपने को जिंदा रखा। ये दोनों प्रण करता हैं कि हालात जैसे भी हों, मेहनत और जुनून के आगे हार नहीं माननी चाहिए।

खुद की ताकत, खुद का भरोसा  

दिव्या के पूरे सफर में उनकी सबसे बड़ी पूंजी बना – खुद पर भरोसा और ऑनलाइन उपलब्ध संसाधनों का सही इस्तेमाल। सही योजना और नियमित अभ्यास ने परीक्षाओं में धार दी। वह बताती हैं – महंगी कोचिंग सफलता का एकमात्र रास्ता नहीं है।

UPSC अभ्यर्थियों के लिए संदेश  

दिव्या तंवर की कहानी UPSC सहित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के उम्मीदवारों को यही संदेश देती है – जरूरी नहीं कि संसाधन भरपूर हों, आत्मविश्वास और सटीक रणनीति से भी मंजिल मिलती है। ऑनलाइन क्लासेज, मॉक टेस्ट्स और अनवरत अध्ययन से अच्छा परिणाम पाया जा सकता है।

हार नहीं मानना, बढ़ते रहना  

कई बार तकलीफें आती हैं, चैलेंजेज़ मुश्किल लगते हैं, लेकिन जो हारे नहीं, वह चले जाते हैं। दिव्या के सफर से यह सीखना जरूरी है कि असली सफलता अपने विश्वास और मां की प्रेरणा से पैदा होती है।

महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल  

दिव्या तंवर जैसा जज्बा साँस लेने वाली हर लड़की के लिए मिसाल है, जो छोटे गांवों से निकलकर देश सेवा का सपना देखती है। वे बताती हैं – बाधाएं आएंगी, पर वे मजबूत इरादों को रोक नहीं सकतीं।

परीक्षा के आँकड़े  

  • 2021: पहली कोशिश में AIR 438, IPS  
  • 2022: दूसरी कोशिश में AIR 105, IAS  
  • स्कोर: पहली बार 930, दूसरी बार 994  
  • वर्तमान पद: मणिपुर कैडर में IAS

ऑनलाइन शिक्षण की शक्ति  

दिव्या ने ऑनलाइन अध्ययन और मुक्त सामग्री चुनकर कम संसाधनों में अत्युत्कृष्ट परिणाम पाया। उनकी सफलता बताती है – सही रणनीति, अभ्यास और घर की प्रेरणा से कोई भी बड़ा सपना साकार हो सकता है।

त्याग और मेहनत: कहानी की पहचान  

इस खबर से प्रेरणा लें और सीखें कि मां-बेटी की जुगल जोड़ी कैसी बड़ी से बड़ी मुश्किल को मात दे सकती है। गरीबी और अभाव कभी बंधन नहीं होते, अगर इच्छा मजबूत हो।