-2622315092.jpeg)
रिपोर्ट: श्रेया पांडेय
वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट की वैधता को लेकर एक ऐतिहासिक और संवेदनशील मुकदमे पर सुनवाई चल रही है। यह मामला उस कानून से जुड़ा है जिसके तहत मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के तहत दर्ज किया जाता है और उनके प्रबंधन की जिम्मेदारी इसी बोर्ड पर होती है। इस कानून की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह केवल एक धर्म विशेष को लाभ देता है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ गठित की है। याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास कुछ ऐसी संपत्तियाँ भी दर्ज हैं जिनका कभी इस्लाम से कोई संबंध नहीं था। इससे संपत्ति विवादों और ज़मीनी झगड़ों की संख्या बढ़ी है। वहीं, मुस्लिम पक्ष और वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह कानून ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा है और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का संरक्षण करता है।
इस मुद्दे का असर पूरे देश में लाखों वक्फ संपत्तियों और उनकी देखरेख पर पड़ सकता है। यह सुनवाई धार्मिक और संवैधानिक दोनों दृष्टिकोणों से बेहद महत्वपूर्ण है। अदालत के निर्णय से यह तय होगा कि क्या यह कानून भविष्य में भी इसी रूप में लागू रहेगा या उसमें कोई संशोधन लाया जाएगा।